निबंध लेखन।Hindi Essay Writing

 

नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम हिंदी में निबंध लेखन सीखेंगे। निबंध कैसे लिखते हैं  निबंध  लिखने का क्या तरीका होता है। और निबंध के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जानेंगे।

यदि आप हिंदी में निबंध लिखना चाहते है , तो इस पोस्ट को पढने के बाद आप आसानी से कोई भी निबंध लिख पाएंगे । आपको सिर्फ कुछ ही चीजों का ध्यान रखना है। वह क्या है उसके लिए इस post को जरूर अंत तक पढ़े।

आज हम जानेंगे :-

  1. निबंध क्या है ?
  2. निबंध की परिभाषा क्या होती है ?
  3. निबन्ध का महत्त्व 
  4. निबन्ध के अंग 
  5. निबन्ध के कितने प्रकार होते हैं ?
  6. 'सुसंगठित' (सुन्दर और संगठित  ) निबन्ध कैसे लिखे?
  7. निबन्ध-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  8.  निबन्ध कैसे लिखें?
  9. निबंध लेखन :-  सरल हिंदी भाषा में 
  10. निबंध लेखन का उदाहरण 

nibandh lekhan.


1.निबन्ध क्या है?


साहित्य - 'गद्य' (निबन्ध) एवं 'पद्य' दो रूपों में लिखा जाता है। पद्य में छन्द, लय, अलंकार, रसविधान इत्यादि का ध्यान रखना पड़ता है, जबकि गद्य, साहित्य का वह रूप है जिसमें इन नियमों के आधार पर लेखन की बाध्यता नहीं होती, बल्कि इसमें तथ्यों एवं विचारों को बोल-चाल की भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। निबन्ध इसी गद्य साहित्य की एक विधा है। कहानी, नाटक, उपन्यास, आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रिपोर्ट इत्यादि गद्य के अन्तर्गत आने वाली लेखन की अन्य विधाएँ हैं, जिनमें कथावस्तु की प्रधानता होती है जबकि निबन्ध में कथावस्तु की नहीं बल्कि विषयवस्तु की भी प्रधानता होती है।


2.निबंध की परिभाषा क्या होती है ?


निबन्ध की परिभाषा निबन्ध 'नि' और 'बन्ध' दो शब्दों के मेल से बना है, जिसका तात्पर्य है-नियमों से बँधी हुई गद्य रचना या लेख। हिन्दी के शब्द 'निबन्ध' को अंग्रेजी के 'Essay' का पर्याय माना जाता है। अंग्रेजी के 'Essay' शब्द का अर्थ होता है विषय-विशेष पर एक छोटा लेख, किन्तु यह जरूरी नहीं कि किसी विषय पर लिखा गया कोई निबन्ध छोटा ही हो। यह अति विस्तृत भी हो सकता है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि ऐसी विस्तृत गद्य रचना जो सारगर्भित न हो एवं जिसमें विचारों को क्रमबद्ध रूप से प्रकट न किया गया हो तथा जो बीच-बीच में अपनी विषयवस्तु से भटक गई हो, उसे निबन्ध की संज्ञा नहीं दी जा सकती।


 एक सामान्य निबन्ध में शब्दों की संख्या 500 से 1000 तक हो सकती है। 1000 से 3000 शब्दों वाले निबन्ध 'दीर्घ निबन्ध' (बड़ा निबंध ) कहलाते हैं। कुछ विद्वानों ने निबन्ध शब्द की व्याख्या इस प्रकार की है-''सभी प्रकार के बन्धनों से मुक्त रचना निबन्ध है।" जबकि उनकी यह व्याख्या प्रत्येक स्थिति में सार्थक नहीं कही जा सकती। यह विचारों की स्वतन्त्रता तक तो ठीक है, किन्तु इन विचारों की प्रस्तुति यदि क्रमबद्ध व प्रभावशाली ढंग से न की गई हो, तो निबन्ध पाठक पर अपना पूर्ण प्रभाव नहीं डाल पाता। अत: सार्थकता एवं प्रभावोत्पादकता की दृष्टि से गद्य के रूप में विचारों की क्रमबद्ध एवं सार्थक प्रस्तुति को ही निबन्ध की संज्ञा दी जा सकती है। इस प्रकार किसी भी विषय पर लिखी गई वह रचना, जिसमें विषयवस्तु से सम्बन्धित विचारों को क्रमबद्ध रूप में इस तरह प्रकट किया गया हो, जिससे उस विषयवस्तु की विस्तृत अथवा सारगर्भित जानकारी मिलती हो, निबन्ध कहलाती है।


3.निबन्ध का महत्त्व 


मनुष्य अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा के मौखिक अथवा लिखित रूप का सहारा लेता है। विचारों को बोलकर व्यक्त करने को मौखिक अभिव्यक्ति कौशल एवं इन्हें लिखकर व्यक्त करने को लेखन-कौशल कहा जाता है। इन्हीं अभिव्यक्ति कौशलों से मनुष्य के व्यक्तित्व की परीक्षा होती है। यह आवश्यक नहीं कि जो व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति कौशल में माहिर हो, जैसा कि एक वक्ता होता है, वह किसी लेखक की तरह लेखन-कौशल में भी माहिर हो। 

इसी तरह, एक अच्छा लेखक अच्छा वक्ता हो, यह भी आवश्यक नहीं, किन्तु सामान्य रूप से एक शिक्षित मनुष्य से यह आशा अवश्य की जा सकती है कि वह भले ही एक अच्छा वक्ता एवं लेखक न हो, पर मौखिक ही नहीं, लिखित रूप में भी अपने विचारों को भली-भाँति अवश्य अभिव्यक्त कर सकेगा। किसी व्यक्ति के लेखन-कौशल की जाँच के लिए सामान्यत: पत्र-लेखन एवं निबन्ध-लेखन का ही सहारा लिया जाता है। पत्र-लेखन से किसी विषय पर व्यक्ति की सोच की पूरी जाँच सम्भव नहीं है, जबकि निबन्ध-लेखन द्वारा न केवल व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच एवं भावना का पता लगाया जाता है, बल्कि साथ-ही-साथ उसके लेखन-कौशल की परीक्षा भी हो जाती है। इस तरह निबन्ध के माध्यम से काफी हद तक किसी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है .


4.निबन्ध के अंग 


सामान्यत: निबन्ध के तीन भाग या अंग होते हैं

1. परिचय इस भाग में निबन्ध की विषयवस्तु का परिचय दिया जाता है, जिससे पाठक को निबन्ध के
अगले भागों को समझने में आसानी होती है।

2. मध्य भाग इसे निबन्ध का शरीर अथवा मूल भाग कहते हैं। विषयवस्तु का विस्तृत वर्णन इसी भाग
में किया जाता है। अत: इसे विषय-प्रसार भी कहा जाता है। यह निबन्ध का सर्वाधिक विस्तृत
भाग होता है।

 3. उपसंहार यह निबन्ध का अन्तिम भाग होता है, जिसमें इसका सार होता है।


5.निबन्ध के कितने प्रकार होते हैं ?


 रूप, शैली एवं विषयवस्तु के आधार पर निबन्ध कई प्रकार के होते हैं :-

वर्णनात्मक निबन्ध :- इसमें विषयवस्तु का सामान्य वर्णन होता है। इसी प्रकार के निबन्ध लेखन के दृष्टिकोण से सरल होते हैं। पर्व-त्योहार, स्थान, व्यक्ति-विशेष, ऋतु-विशेष इत्यादि पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी में आते हैं।


 विश्लेषणात्मक निबन्ध :- ऐसे निबन्धों में विषयवस्तु का विश्लेषणात्मक विवरण होता है। इन्हें विवरणात्मक निबन्ध भी कहा जाता है। इनमें तथ्यों के आधार पर विश्लेषण के माध्यम से ज्ञानवर्द्धन पर जोर दिया जाता है। अर्थव्यवस्था एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध जैसे विषयों पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी में आते हैं।


 विचारात्मक निबन्ध :- ऐसे निबन्धों में विषयवस्तु के पक्ष-विपक्ष, नकारात्मक-सकारात्मक, लाभ-हानि इत्यादि का वर्णन होता है। आतंकवाद, नक्सलवाद, गरीबी एवं अन्य विवादास्पद विषयों पर आधारित निबन्ध इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। किसी साहित्यिक रचना पर समीक्षात्मक निबन्ध भी विचारात्मक निबन्ध के ही अन्तर्गत आते हैं। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि किसी रचना की समीक्षा को समीक्षात्मक निबन्ध की संज्ञा नहीं दी जा सकती। भावनात्मक निबन्ध किसी सूक्ति, कथन, विचार आदि विषयवस्तुओं पर लिखे गए निबन्ध भावनात्मक निबन्ध के अन्तर्गत आते हैं। उदाहरणस्वरूप 'पराधीन सपनेहँ सुख नाहिं', 'परहित सरसि धरम नहीं भाई' अथवा ऐसी अन्य सूक्तियों पर लिखे गए निबन्ध। इन्हें चिन्तन प्रधान निबन्ध भी कहा जाता है, क्योंकि लेखक अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर विषयवस्तु के बारे में चिन्तन कर अपने विचारों को निबन्ध का रूप देता है। यदि आप प्रधानमन्त्री होते तो क्या करते' जैसे कल्पना प्रधान निबन्ध भी भावनात्मक निबन्ध की श्रेणी में आते हैं।


ललित निबन्ध :-  कुछ निबन्ध भाषा-शैली, वाक्य-रचना, अलंकार, मुहावरे इत्यादि के प्रयोग द्वारा इस तरह लिखे जाते हैं कि इनकी पठनीयता एवं प्रभावोत्पादकता ही नहीं, बल्कि भाषा-सौन्दर्य भी पाठक को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त होते हैं, ऐसे निबन्ध को ललित निबन्ध कहा जाता है। वर्णनात्मक, विश्लेषणात्मक, विचारात्मक एवं भावनात्मक इन सभी प्रकार के निबन्धों को ललित निबन्ध के रूप में लिखा जा सकता है, यदि लेखक का भाषा एवं रचनात्मक लेखन पर पर्याप्त अधिकार हो। 


6.'सुसंगठित' (सुन्दर और संगठित  ) निबन्ध कैसे लिखे?


निबन्ध-लेखन एक कला है। किसी अन्य कला में प्रवीण होने के लिए जिस तरह निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता होती हैठीक उसी तरह विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्ति के निरन्तर अभ्यास द्वारा ही कोई अच्छा निबन्धकार बन सकता है।


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सुसंगठितनिबन्ध की विशेषताएँ:-


 किसी निबन्ध को सुसंगठित निबन्ध तब तक नहीं कहा जा सकताजब तक कि वह प्रभावोत्पादकता एवं सार्थकता की शर्तों को भली-भाँति पूरा न करता हो। इस दृष्टिकोण से एक श्रेष्ठ निबन्ध की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं।


व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा सुसंगठित निबन्ध की भाषा व्याकरण-सम्मत एवं स्पष्ट तथा
वाक्य-रचना गठन की दृष्टि से शुद्ध होनी चाहिए। 

 विषयानुकूल भाषा निबन्ध की भाषा व्याकरण-सम्मत एवं स्पष्ट तो हो किन्तु वह विषयानुकूल
न हो तो भी निबन्ध पाठक पर अच्छा प्रभाव नहीं डाल पाता। 

 विचारों में क्रमबद्धता एक 'सुसंगठितनिबन्ध में विचारों में क्रमबद्धता होती है और यही
क्रमबद्धता किसी भी निबन्ध को प्रभावी बनाती है। 

 विचारों में सम्बद्धता निबन्ध में विचारों में क्रमबद्धता के साथ-साथ उनमें सम्बद्धता भी
आवश्यक है। विचारों का बिखराव निबन्ध की महत्ता को कम करता है। विषय-केन्द्रित निबन्ध को हर हाल में विषय-केन्द्रित होना चाहिए। विषय से भटकाव किसी भी निबन्ध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।

 सारगर्भित निबन्ध जितना सारगर्भित होगापाठक पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक पड़ेगा।
विषय के अनावश्यक विस्तार से निबन्ध न केवल बोझिल हो जाता हैबल्कि उसकी पठनीयता भी कम हो जाती है।

 उद्धरणोंकाव्य-पंक्तियों तथा सूक्तियों का प्रयोग निबन्ध में प्रयुक्त विचारों के समर्थन में कवियोंलेखकों एवं महापुरुषों के कथनोंउद्धरणों एवं काव्य-पंक्तियों के साथ-साथ सूक्तियों के प्रयोग से न सिर्फ इसकी सटीकताबल्कि इसकी पठनीयता भी बढ़ती है।


'सुसंगठितनिबन्ध कैसे लिखें? निबन्ध-लेखन यदि आसान नहीं हैतो कठिन भी नहीं है। थोड़े-से अतिरिक्त अभ्यास से इसमें कुशलता प्राप्त की जा सकती है। अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त कर सकने वाला कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन कर आसानी से किसी भी विषय पर निबन्ध लिख सकने में सक्षम हो सकता है।

किसी विषय पर भी निबन्ध लिखने के लिए सबसे पहले अपने ज्ञान एवं अनुभव के  आधार पर उसके बारे में सोचें। उसके बाद उस विषयवस्तु से सम्बन्धित मस्तिष्क में आए विचारों को सही क्रम दें ।

  1. निबन्ध का प्रारम्भ हमेशा विषयवस्तु के परिचय से करें।
  2. जिसके बाद निबन्ध के मध्य भाग को लिखें, इसमें विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार ना दें  .
  3.  उपसंहार में सारांश के साथ निबन्ध को समाप्त करें।

7.निबन्ध-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें..... 


एक कुशल निबन्ध-लेखक को निबन्ध लिखते समय निम्नलिखित बातें याद रखनी चाहिए .

  1.  निबन्ध उसी विषय पर लिखना अधिक अच्छा होता है, जिसकी अच्छी जानकारी हो। 
  2. किसी निबन्ध का प्रारम्भ विषयवस्तु के परिचय से करना चाहिए। उसके बाद उसकाआवश्यकतानुसार वर्णन कर अन्त में उपसंहार लिखना चाहिए। 
  3.  वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्दों का प्रयोग करना चाहिए तथा इनकी अनावश्यक आवृत्तिसे बचना चाहिए। 
  4. वाक्य-विन्यास ठीक रखते हुए विराम-चिन्हों का उचित प्रयोग करना चाहिए।
  5. व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए। 
  6.  निबन्ध की भाषा-शैली सीधी, सरल, सुबोध तथा विषय के अनुकूल रखनी चाहिए। 
  7. लम्बे-लम्बे क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से यथासम्भव बचना चाहिए, क्योंकि इनसे भाषा प्रवाह मेंबाधा पहँचती है और निबन्ध अस्वाभाविक लगने लगता है। 
  8.  निबन्ध का आकार न बहुत छोटा और न ही बहुत लम्बा होना चाहिए। .
  9.  सभी विचारों को पूर्णता के साथ स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए। 
  10. मध्य-भाग लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो। विभिन्न अनुच्छेदों को भी विचारों की भाँति सही क्रम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 
  11.  विषयवस्तु का वास्तविक प्रसार मध्य-भाग में ही करना चाहिए। 
  12.  निबन्ध का सारांश उपसंहार में ही लिखना चाहिए तथा इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अन्तिम वाक्य के साथ निबन्ध की पूर्णता का आभास हो। 
  13.  विचारों में क्रमबद्धता रखनी चाहिए। जैसे किसी महापुरुष पर निबन्ध को यदि उनकी मृत्यु से शुरू किया जाए, तो इसे कभी अच्छा नहीं कहा जा सकता। उनका परिचय, उनका प्रारम्भिक जीवन, उनके कार्य, उनका योगदान इत्यादि के वर्णन के बाद यदि हम उनकी मृत्यु के बारे में बताएँ तो इसमें विचारों में क्रमबद्धता स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। विचारों में क्रमबद्धता लान अधिक स्पष्ट हो जाता है। इसके  लिए वाक्यों का एक-दूसरे से जुड़ा होना भी आवश्यक है, इससे विषयवस्तु का वर्णन अधिक स्पस्ट हो जाता है .
  14.  क्रमबद्धता के साथ-साथ विचारों में सम्बद्धता का भी ध्यान रखना अनिवार्य है। 
  15.  विषयान्तर निबन्ध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है। अत: निबन्ध लिखते समय सदा विषय-केन्द्रित रहना चाहिए।
  16.  . कोई निबन्ध जितना सारगर्भित हो पाठक पर उसका प्रभाव उतना ही अधिक पडता है। विषय के  अनावश्यक विस्तार से निबन्ध न केवल बोझिल हो जाता है, बल्कि पाठक की रूचि भी  इसमें कम हो जाती है।

 

8.निबन्ध कैसे लिखें?


क्या आपको अँगरेजी में निबन्ध लिखने में कठिनाई होती है? क्या आप सोचते हैं कि निबन्ध लिखना एक नीरस काम है? शायद आप यह नहीं जानते कि अँगरेजी में निबन्ध कैसे लिखा जाता है। निराश नहीं हों। आप निबन्ध लिखना सीख सकते हैं।


क्या आप 'Essay' शब्द का अर्थ जानते हैं ? 'Essay' शब्द का अर्थ होता है प्रयत्न करना। जब आपको निबन्ध लिखने के लिए कहा जाता है तब आपसे उम्मीद की जाती है कि आप दिए गए विषय के संबंध में अपने विचारों को व्यवस्थित रूप में प्रकट करेंगे। निबन्ध लिखना एक कला है। आप अभ्यास के द्वारा इसे सीख सकते हैं। आपको निश्चय कर लेना चाहिए कि आप नियमित रूप से निबन्ध लिखेंगे। कुछ निबन्ध लिखने के बाद आप महसूस करेंगे कि निबन्ध लिखना एक आनन्ददायक काम


निबन्ध लिखना प्रारम्भ करने के पहले आप दिए गए विषय के बारे में सोचें। जब आप विषय के संबंध में सोचेंगे तब आपके मन में विचार आएँगे। इन विचारों को कागज के एक टुकड़े पर लिख लें। तब उन्हें व्यवस्थित रूप में ठीक कर लें। एक रूपरेखा बना लें। यदि आप प्रत्येक पहलू पर एक संदर्भ लिख देते हैं तो आप आसानी से निबन्ध लिख सकते हैं।


अपने निबन्ध को प्रत्यक्ष रूप में प्रारंभ करें। निबन्ध का प्रारंभ आकर्षक और रोचक होना चाहिए। प्रारंभ का संदर्भ छोटा होना चाहिए। अपने विचारों को व्यवस्थित रूप में प्रकट करें। अपने विचारों को विभिन्न अनुच्छेदों में प्रकट करें। अंतिम अनुच्छेद आकर्षक, छोटा और स्वाभाविक होना चाहिए। उसमें उपसंहार रहना चाहिए। पाठक के मन पर उसका स्पष्ट प्रभाव पड़ना चाहिए।


अपने निबंध को मनोरंजक बनाने की कोशिश करें। आपको जो कुछ कहना हो उसे प्रभावपूर्ण ढंग से कहें।


अपने निबंध को सरल, स्वाभाविक और शुद्ध भाषा में लिखें। यदि आप शुद्ध भाषा में निबंध नहीं लिखते तो आप अच्छे अंक नहीं प्राप्त कर सकते। ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करें जिन्हें आप शुद्ध रूप में नहीं लिख सकते। व्याकरण-संबंधी अशुद्धियों से सावधान रहें। लंबे वाक्य लिखने की कोशिश नहीं करें। विराम-चिह्नों के प्रयोग करने में सावधान रहें।


अपने निबंध को दुहरा लें और उसमें यदि अशुद्धियाँ हों तो उन्हें ठीक कर दें।


इन नियमों से आपको निबंध लिखने की कला सीखने में सहायता मिलेगी। इस पुस्तक में दिये हुए निबंधों को सावधानी से पढ़ें। किसी दिए गए विषय पर अपने विचारों को प्रकट करना सीखने में वे आपके सहायक होंगे।


9.निबंध लेखन :-  सरल हिंदी भाषा में 



तो दोस्तों यदि आप Hindi  में निबंध  लिखना चाहते है , तो आपको मुख्य 3 बातों को ध्यान में रखना होगा।

1. निबंध  किस प्रकार का है। 

मुख्य 4 प्रकार के निबंध  होते हैं।

i )  वर्णनात्वक - Descriptive - आप निबंध  एकदम स्पष्ठ लिखे। इसमें आप जिस भी विषय पर निबंध  लिख रहे है , उसका विवरण देना है। यानि आपको describe करना है , अपना पसंद -नापसंद बताना है।
जैसे - मेरा विद्यालय  , मेरे सपनो का घर। इत्यादि।

ii ) विचारात्मक - Reflective - इस तरह के निबंध  में आपको अपना विचार देना होता है। हरेक का अपना -अपना विचार होता है , लेकिन आप कुछ ऐसा विचार दे , जिससे की लोग परेशानी से बाहर निकले और उसे लाभ हो। आसान भाषा में आपको solution देना है , अपना experience share करना है।
जैसे - सफलता के लिए मेहनत करना जरूरी है। बिज़नेस के लिए टीम वर्क का महत्व।

iii ) कथनात्मक - Narrative - अब इस तरह के निबंध  में आपको कथा लिखना है , यानि कहानी लिखना है।
आपसे किसी के ऊपर भी कहानी पूछा जा सकता है।  आपको उसके बारे में कहानी कहना है और अपना विचार रखना है।  जैसे - कबीर दास , तुलसी दास के ऊपर निबंध। इत्यादि।

iv )  विवादप्रिय -Argumentative - अब इस तरह के निबंध  में आपको विवाद करना है  , यानि तर्क करना है। कि कोई कुछ कह रहा है , आप कुछ कह रहे है।  आपको reasons देने है , कि मैं जो कह रहा हूँ वही ठीक है और इसी से change आएगा।
जैसे - समाज की भलाई कैसे हो , विश्व में शांति कैसे आये। इत्यादि।

Note :- तो यह है मुख्य 4 तरह की निबंध। यदि इन सब चीजों का आप ध्यान नहीं रखते है , तो आप बस एक चीज के ऊपर ध्यान रखे और वह है जानकारी। किसी भी topic के ऊपर आपको कितनी जानकारी है , यदि आपके पास जानकारी है , तो फिर कोई भी निबंध  रहे , किसी भी तरह का निबंध  रहे , आप लिख पाएंगे।



2 . निबंध  लिखते समय आप इन बातों का ध्यान जरूर रखे।



निबंध  में समानता ( unity ) और संलग्नता (coherence ) होना चाहिए।  समानता  के लिए आप अपने विचारों को एक साथ स्पष्ठ ढंग से बताये और संलग्नता  के लिए कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करे जिनसे paragraph को जोड़ा जा सके। इसके लिए आप  जुड़े शब्द और वाक्यों का सही प्रयोग कर सकते है।

(जुड़े शब्द ) जैसे - और, या, लेकिन,पहले, अगले, आखिरी, अंत में,बाद में, फिर, जल्द ही, हालांकि, इसके अलावा, इत्यादि।

(वाक्य ) जैसे  :- संक्षेप में, एक अनुरोध के रूप में, दूसरी ओर, इसके विपरीत, इसके अलावा, निष्कर्ष में, योग करने के लिए, आदि।



3. हरेक निबंध  के तीन भाग होते है। 



यह सबसे महत्वपूर्ण है।  आप कुछ याद रखे या ना रखे , लेकिन यह जरूर याद रखे। इससे आप कोई भी Essay को आसानी से लिख पाएंगे।

i ) आरम्भ ( Beginning ) - इसे introduction भी कहा जाता है।  निबंध  का यह भाग अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए। इस भाग में आपको दिए गए topic का definition , उसके सम्बन्ध में जानकारी - जैसे topic क्या है ? उससे क्या होता है , वह कब बना था , उसके बारे में short details आपको देना होता है।

ii ) प्रधान अंग  ( Body ) - इस भाग में आपको तर्क -वितर्क arguments , उसके बारे में व्याख्या देना है , कुछ उदाहरण देना है। पूरी illustrations देनी है।

अब एक नया भाग जुड़ गया है और वह है।

iii  ) फायदे और नुकसान ( Benefits & harm  ) - अंत में आपको निबंध  के topic के ऊपर लाभ - हानि बतानी है।  इसके क्या -क्या लाभ है वह बताना है , क्या -क्या नुकसान है वह भी बताना है।  इससे कितने लोगों को फायदा हुआ है , इत्यादि चीजों को बताना है।

iv  ) उपसंहार  ( Conclusion ) :- इसमें आपको पुरे निबंध  का लेखा -जोखा , साफ़ -साफ़ शब्दों में देना होता है। या कहे निबंध  का पूरा सारांश (summary ) देना होता है। इस भाग में आपको सच्चाई बतानी होती है , इसमें आपके महत्वपूर्ण बातों से लोगों को चुभान भी हो सकती है।
तो यह था निबंध के लिए सबसे महत्वपूर्ण पार्ट। सबसे पहले introduction देना है , फिर कुछ examples , व्याख्या करनी है।  फिर conclusion में आना है , पूरी summary को बताना है।  और अंत में उसके फायदे और नुकसान को बताना है। तो यह बातें आप जरूर याद रखे।


10.निबंध लेखन का उदाहरण :-



रेलवे कुली

सामान और बोझ ढोकर अपनी रोटी चलानेवाला ही कुली है। रेलवे स्टेशन पर काम करनेवाले इस प्रकार के कुली को रेलवे कुली कहते हैं। यह प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर सर्वाधिक दीख पड़नेवाला व्यक्ति है।


रेलवे कुली एक लाल या काला कुरता पहनता है। सफेद कपड़े के टुकड़े पर छपा उसका लाइसेंस नंबर उसकी छाती के निकट करते पर सिला रहता है। सिर पर वह एक नीली या काली पगड़ी बाँधे रहता है। कोई-कोई कली अपने कंधे पर गमछा लिए चलता है। चेहरे और सूरत से वह सरल पर दरिद्र एवं गंदा दीख पड़ता है।


रेलवे कुली एक बहुत ही कठिन और कष्टसाध्य जीवन व्यतीत करता है। वह सदा किसी ऐसे यात्री की तलाश में रहता हैजो उससे काम ले। उसके भोजन और विश्राम के लिए कोई निर्धारित अवधि नहीं है। जब कभी गाड़ी आने को होती हैवह चौकन्ना खड़ा हो जाता है। ज्योंही गाड़ी प्लैटफार्म में प्रवेश करती हैवह यात्रियों के डब्बे की ओर दौड़ पड़ता है। पुकार या इशारे पर ही वह डब्बे में घुस जाता है और सर पर गट्ठर और सामान लिए बाहर निकलता है। कुछ कुली उन यात्रियों का सामान ढोते हैंजो गाड़ी में चढ़ना चाहते हैं। किसी भी मौसम तथा दिन या रात्रि के किसी भी समय कुली को अपनी जीविका के लिए कार्य करना पड़ता है। चाहे झुलसानेवालो गर्मी हो या कँपानेवाली ठंढ होरेलवे कुली को प्लैटफार्म पर रहना पड़ता है। ऐसे कठिन और कष्टसाध्य जीवन के बावजूद कुली मुश्किल से अपना खर्च चलाने भर कमाता है।


रेलवे कुली सामान्यतः अपढ़ होते हैं। इसलिए व्यवहार में उदंड और बरताव में रुक्ष होते हैं। अपनी गरीबी के कारण वे दब्बू होते हैं। कुछ धूर्त और दुष्ट होते हैं। वे सीधे-सादे और भोले-भाले यात्रियों को ठगने की कोशिश करते हैं।


यात्रियों के लिए रेलवे कुली बड़ा उपयोगी है। गाड़ी में चढ़ने-उतरने में वह उनकी सहायता करता है। बहत कम खर्च पर ही वह भारी बोझ ढो देता है। सिर्फ यही नहींरेलवे कली निर्देशक का कार्य करते हैं। इसलिए वे अनभिज्ञ यात्रियों के लिए बड़े मददगार होते हैं। वे कमजोर एवं निकम्मे यात्रियों के लिए डब्बे में जगह प्राप्त करा देते हैं। लेकिनबहत ऐसे कुली हैंजो दुष्ट और बेईमान होते हैं। वे अनभिज्ञ यात्रियों को ठगते और भ्रमित करते हैं।


रेलवे कली की हालत में सधार की जरूरत है। उन्हें रहने और वस्त्र की आधक अच्छी सविधाएँ दी जानी चाहिए। हमलोगों को उनके प्रति विचारशील होना चाहिए और उनकी मजदूरी देने में उदार होना चाहिए।


Note :- निबंध  लिखते समय इन सभी भागों को अलग - अलग paragraph में लिखना है। यानि आपको एक निबंध  4-6  paragraph में लिखना है। ये बात भी आप ध्यान में रखे , इसी से आपको नंबर मिलेंगे। और इसी से आपके निबंध  में सुंदरता आएगी।



तो दोस्तों यह थी जानकारी कि आप हिंदी  में निबंध  कैसे लिखेंगे , उसके क्या -क्या तरीके है , और किन -किन चीजों को आपको ध्यान में रखना है। मुझे उम्मीद है की आपको ये जानकारी जरूर मदद करेगी।

यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है , तो हमें comment करके जरूर बताये। और इस post को जरूर अपने दोस्तों तक share करे। ताकि और लोगों को भी मदद मिल सके।

धन्यवाद। 


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