ब्रह्मा बाबा के 5 महत्वपूर्ण गुण

  

 ओम शांति

 आज मैं आप लोगों को ब्रह्मा बाबा से रूबरू कराने वाला हूं। आज मैं आपलोगों को ब्रह्मा बाबा के 5 महत्वपूर्ण गुण के बारे में बताने वाला हूँ . जो ब्रह्मा बाबा को जानते हैं वह भी और जो ब्रह्मा बाबा को नहीं जानते हैं वह भी इस पोस्ट को जरूर अंत तक पढ़े क्योंकि इस पोस्ट को पढने के बाद आपका जीवन बदलने वाला है।

आप जीवन के किसी भी पड़ाव में हो आप किसी भी क्षेत्र से हो यदि आप ब्रह्मा बाबा के इन पांच गुणों को अपने जीवन में धारण करते हैं तो आपका जीवन सफल होना निश्चित है। सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार हो जाता है।

brahma baba

 

ब्रह्मा बाबा का पहला गुण है-  (पंक्चुअलिटी) यानी समय का पालन करना

 ब्रह्मा बाबा समय के बहुत पाबंद थे। वह इतने समय के पाबंद थे कि उन्होंने 1936 से 1969 तक 33 वर्ष एक भी क्लास मिस नहीं की। सभी मुरली क्लास रोज और समय पर चलाते थे। यहां तक कि जिस दिन उनका शरीर छूटने वाला था ,उस दिन भी शाम में मुरली क्लास चलाने के बाद ही शरीर छोड़े,  ऐसे रेगुलर और पंक्चुअल थे ब्रह्मा बाबा।

 उनका कहना था-  कि सबसे बड़ा खजाना होता है समय का खजाना ( रुपया पैसा धन दौलत नहीं)  समय।

 समय तुमको परिवर्तन ना करें, तुम समय को परिवर्तन कर दो। यदि तुम समय पर कार्य नहीं करोगे तो समय तुमको परिवर्तन कर देगी ,अमीर से गरीब हो जाओगे और यदि तुम समय पर कार्य करोगे तो तुम समय को परिवर्तन कर दोगे। गरीब से अमीर हो जाओगे ।सफलता मिलनी ही मिलनी है। इसीलिए हर एक कार्य में रेगुलर और पंक्चुअल जरूरी है।

 ब्रह्मा बाबा का दूसरा गुण है:-  सहनशीलता यानी सहन करना

 कोई ब्रह्मा बाबा को गाली देते थे, ब्रह्मा बाबा सहन कर लेते थे। उनको धन्यवाद कह देते थे। पेपर में ब्रह्मा बाबा की ग्लानि होती थी ब्रह्मा बाबा सहन कर लेते थे। सिंध के आश्रम को जला दिया  गया ब्रह्मा बाबा सहन कर  लिए।

 उनका कहना था- निंदा तुम्हारी जो करें मित्र तुम्हारा सो होय। जो आपकी निंदा करता है ग्लानि करता है तो वह आपका मित्र है क्योंकि  कारणे-अकारने वही आपको आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है।

 इसको एक उदाहरण से समझते हैं-  आप किसी कार्य को करने में लगे हैं और कोई आपसे कह रहा है कि तुमसे नहीं हो पाएगा तुम मत करो। तो ऐसा कह कर वह क्या कर रहा है? वह आपके अंदर की दृढ़ता शक्ति को बढ़ा रहा है। फिर आप कहते हैं हम तो करके ही रहेंगे देखते हैं हमको कौन रोकता है।

 तो ऐसे ही थे ब्रह्मा  बाबा ,  दृढ़ निश्चय बुद्धि जब पेपर में बाबा की ग्लानि हुई तो बिल्कुल ही शांत हो गए। पेपर द्वारा लोग आश्रम में आने लगे और फिर उन्हें भी ईश्वरीय ज्ञान पाने का सौभाग्य मिला। जो ग्लानि कर रहे थे वही फिर बाबा के बच्चे बन गए। तो ऐसे ही थे ब्रह्मा बाबा, बड़े से बड़े शत्रु को दोस्त बना लेते थे।

ब्रह्मा बाबा का तीसरा  गुण है :- ज्ञान

 जब से ब्रह्मा बाबा के द्वारा मुरलिया चलना शुरू हुआ तब से लोग आश्रमों में स्वयं ही खींचे चले आने लगे।

 मुरली तेरी में जादू-  ऐसा ज्ञान ना आज तक कोई सुना था और ना ही कोई सुना पाएगा ।ऐसा ज्ञान जो दुनिया को बदल कर रख देगी , ऐसा ज्ञान सुनते ही लोग भागे भागे चले आने लगे।

 अलफ को अल्लाह मिला , बे को मिली बादशाही ,आई तार अल्लाह की हुआ रेल कराई। आई तार अल्लाह की यानी जब उनको अल्लाह का, परमात्मा का बुलावा आया । जब उनको पता चला कि मैं परमात्मा का रथ हूं तब उन्होंने अपने को टोटल सरेंडर कर दिया, पूर्ण समर्पण। वह पहले आत्मा बने जो परमात्मा के ऊपर पूर्ण समर्पण होते हैं। तो फिर परमात्मा भी उन पर समर्पण हो जाते हैं और फिर ज्ञान मार्ग की शुरुआत हो जाती है।

 उनका ज्ञान धारणाओं का ज्ञान था। ऐसा नहीं कि रट्टू तोता जैसे  रट लिए, नहीं. उस ज्ञान को उन्होंने अपने जीवन में उतारा। ऐसे  धारणा मूर्त बने कि कोई भी उन्हें देखते थे तो उनको दिव्य रूप दिखाई देता था। वह कहते थे-  कि आज सारी दुनिया अज्ञान अंधेरे में है और यह ज्ञान अंधों की लाठी है यानी यह ज्ञान सभी का सहारा है। जो यह ज्ञान लेता है उसको फिर किसी भी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती है।

 वह ज्ञान हमेशा लेते रहते थे वह रोज मुरली चलाते थे और उनका विचार करते रहते थे।

 ऐसे ही जीवन में हमेशा ज्ञान लेते रहना चाहिए कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए जो ज्ञान लेना बंद कर देता है तो वह जैसे जिंदा मृत के समान बन जाता है।

ब्रह्मा बाबा का चौथा गुण है :- प्यार -स्नेह

 प्यार के मूर्ति थे। कोई उनसे 2 मिनट भी मिलता था तो कहता था कि ब्रह्मा बाबा ने हमें जितना प्यार दिया उतना प्यार किसी ने नहीं दिया। जिस तरह मां अपने बच्चों को पालना देती है उसे सीने से लगा के रखती है वैसी ही पालना ब्रह्मा बाबा सभी बच्चों को देते थे। 

 बाबा  मुर्गियों में कहते थे कि यह ब्रह्मा तुम्हारी मां भी है तो दादा भी है। उन्होंने कभी भी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की सभी को बच्चे बच्चे कहकर पुकारते थे।

 उनका सभी से आत्मिक  प्रेम था वह कॉपी में लिखते थे कि रमेश भाई आत्मा जगदीश भाई आत्मा ।इस तरह वह सभी को आत्मा समझने का अभ्यास करते थे।  आत्मिक प्यार अंदर का प्यार होता है  ,यह ऐसा प्यार होता है जिसे कोई दूर से भी महसूस कर सकता है और ऐसा ही प्यार ब्रह्मा बाबा अपने सभी बच्चों से करते थे।

ब्रह्मा बाबा का  पांचवा और अंतिम गुण है :- सेवा

वह कहते थे की- सेवा में भी देखो तो मनसा सेवा सर्वश्रेष्ठ सेवा है। ऐसे तो वे सभी तरह के सेवा करते थे लेकिन ज्यादातर वे मनसा सेवा में समय बिताते थे।  वह टहलते -टहलते   मन से सेवा करते रहते थे। अपने हाथों को पीछे करके  टहलते रहते थे चक्कर लगाते रहते थे।

 ब्रह्मा ने अपने संकल्पों से सृष्टि रची? कैसे? तो इसका यही राज है मनसा सेवा।

 यज्ञ प्रमुख होते हुए भी वह हर छोटा मोटा काम करते थे। उनका कहना था कि बच्चे यह  है कर्म योग,  हर छोटे-मोटे कार्य करते हुए परमात्मा को याद किया जा सकता है। उसके लिए अलग से आसन लगाकर बैठने की जरूरत नहीं है।

 वह तीनों ही सेवा में अव्वल थे-

 चाहे मनसा सेवा हो वाचा सेवा हो किसी को ज्ञान सुनाना हो,  करमना सेवा हो -यज्ञ का कोई भी कार्य करना हो। वह सभी में अव्वल थे।

 जब से उन्हें पता चला कि परमात्मा मेरे द्वारा कार्य करा रहा है,  तब से उन्होंने अपना तन मन धन तीनों ही समर्पण कर दिया। जानकारी के लिए बता दूं कि वह हीरो के बहुत बड़े व्यापारी थे यज्ञ में आते ही उन्होंने अपना सारा कमाया हुआ धन यज्ञ की सेवा में लगा दी।

 सिर्फ यही नहीं मरने के बाद भी, शरीर छोड़ने के बाद भी अपनी सर्विस को नहीं भूले। गुलजार दादी में प्रवेश होकर बच्चों को ज्ञान सुनाने लगे। वह करके दिखा दिए जो आज तक किसी ने नहीं किया। मर भी जाए लेकिन जो सोच लिया है वह कर के छोडेंगे। मरने के बाद 50 सालों तक वह गुलजार दादी में प्रवेश होकर ज्ञान सुनाते रहे जिसे हम अव्यक्त वाणी कहते हैं। ऐसा ज्ञान सुनाने लगे कि देश-विदेश सभी जगहों से लोग आने लगे। और आज हर देश में ,हर शहर में ,हर एक गांव में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम खुल चुका है। वह कहते थे कि आत्मा कभी मरती नहीं है और यह बात उन्होंने सच साबित करके दिखा दिया है।

 ऐसी आत्मा की तुलना हम किसी से नहीं कर सकते सिर्फ उनसे सीख ले सकते हैं। आप ब्रह्मा बाबा के इन गुणों को अपने जीवन में अवश्य धारण करें आपको सफलता   मिलनी ही मिलनी है। निश्चय बुद्धि विजयंती- यदि आपको अपने कार्य के ऊपर निश्चय है तो विजय होना ही है। और बस आज के लिए इतना ही

 तो दोस्तों यह थी ब्रह्मा बाबा के 5 महत्वपूर्ण गुण . यह पोस्ट आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताये , ब्रह्मा बाबा के ये गुण आपको कैसे लगें यह भी जरूर बताये , और इस पोस्ट को अपने दोस्तों तक जरूर शेयर करें ताकि और लोग ब्रह्मा बाबा के बारे में जान पाए . 

धन्यवाद .

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