Shivratri Kyu Manaya Jata Hai-महत्व और सिख


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे कि शिवरात्रि कब और क्यों मनाया जाता है ? शिवरात्रि का मतलब क्या होता है ? शिव -रात्रि में ही क्यों आते हैं ? शिवरात्रि में क्या-क्या शिव को चढ़ाते है और क्यों ? शिवरात्रि का हमारे जीवन में क्या महत्व है ? शिवरात्रि से हमें क्या सिख मिलती है ? और अंत में हम ये भी जानेंगे कि शिवरात्रि में हम क्या करें जिससे हमें अधिक प्राप्ति हो।

तो इस post को अंत तक पढ़े आपको बोहोत कुछ नया जानने को मिलेगा।

शिवरात्रि कब मनाया जाता है?

शिवरात्रि हरेक साल फाल्गुन महीने में -हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल के अंतिम महीने में (Feb -Mar ) कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है। पूर्णिमा और अमावश्या के बिच के समय को कृष्ण पक्ष कहा जाता है जिसकी शुरुवात पूर्णिमा के अगले दिन से होती है।

शिवरात्रि में क्या-क्या शिवलिंग को चढ़ाते हैं और क्यों ?

शिवरात्रि में हम शिवलिंग को गांजा -भांग -धतूरा -अकवंद जैसी समाज की नशीली चीजें चढ़ाते हैं। इसका मतलब लोगों में जितनी भी बुरी आदतें हैं उनको भगवान को दे देना और समाज के लोगों को निरोगी रखना है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव सभी के पाप कर्म को हर लेते हैं इसकी यादगार में समुद्र मंथन में शिव को विश्व कल्याण के लिए विष पीते भी दिखाते हैं।

यदि कोई सच्चे मन से भक्तिभाव से अपनी बुरी आदतों को भगवान को अर्पण करता है तो वे उनके बुरी आदतों को खुद ले लेते हैं और उन्हें सुख शांति प्रदान करते हैं।

शिवरात्रि में हम दूध ,गंगा जल ,बेलपत्ता भी चढ़ाते हैं जो समाज के उन्नति बनाये रखने और जीवन को सुखमय जीने पर चढ़ाते हैं।

shivratri kyu manaya jata hai
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शिवरात्रि का मतलब क्या होता है?

शिवरात्रि कहें या शिवजयंती कहें दोनों बातें एक ही है। जिस तरह लोग अपना जन्मदिवस मनाते हैं वैसे ही भगवान शिव की इस कलियुग रुपी रात्रि में दिव्य जन्म लेने को ही शिवरात्रि कहा जाता है।

लोग अपना जन्मदिन मनाते हैं लेकिन भगवान शिव अपना जन्मरात्रि क्यों मनाते हैं ?

ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव रात्रि में जन्म लेते हैं। कोई हद के रात्रि में नहीं बल्कि अज्ञान अन्धकार रुपी रात्रि में आते हैं। जब सभी भगवान को भूल जाते हैं और 5 विकारों रुपी दलदल में फँस जाते हैं।

हरेक लोगों में 5 विकार :- काम -क्रोध -लोभ -मोह -अहंकार ये 5 विकार पूरी तरह बढ़ जाती है , लोगों में कोई गुण नहीं रहते अथवा लोग कलाहीन हो जाते हैं। तब ऐसी अंधकार रुपी रात्रि में भगवान शिव अवतरित होते हैं इसलिए उनके जन्म को शिवरात्रि कहा जाता है।

शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?

शिव रात्रि में आया किसी ने देखा ? नहीं देखा। तो फिर पता कैसे पड़ता है कि भगवान शिव इस कलियुग रुपी रात्रि में आया ?
जरूर किसी में तो प्रवेश करेगा क्योंकि भगवान शिव तो है निराकार। उनका अपना कोई शरीर नहीं।

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गीता में भी बोला है प्रवेष्टुं :- तो वो भगवान शिव ऊंच ते ऊंच है तो जरूर ऊंच ते ऊंच में प्रवेश करेगा।
जानवर में तो प्रवेश नहीं करेंगे। जानवर में प्रवेश करेंगे तो ज्ञान कैसे सुनाएंगे , तो किसमें आया ?
गाया भी जाता है भागीरथ -वो भाग्यशाली रथ में ही प्रवेश किया , तो जरूर रथ मनुष्य का होगा ना।

परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मा में प्रवेश करके नई दुनिया की स्थापना का कार्य करते हैं इसलिए कहा जाता है ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि की स्थापना।

जब सभी धर्मपिता अपना-अपना कार्य करके चले जाते हैं फिर भी यह सृष्टि नहीं सुधरती तब परमपिता को ही इस सृष्टि पर आना पड़ता है। जिसे सभी धर्म वाले मानते हैं :- कोई उसे खुदा कहता है ,तो कोई Godfather ,कोई उसे सद्गुरु कहता है तो कोई शिव भगवान।

भगवान आएगा तो जरूर पुरानी सृष्टि को नया बनाएगा और भगवान शिव के सिवाय कोई भी धर्मपिता या मनुष्य इस पुरानी सृष्टि को नई सृष्टि नहीं बना सकता। पुरानी सृष्टि को नया बनाना ये भगवान का ही काम है।

तो इसलिए भगवान पुरानी सृष्टि कलियुग का विनाश कर देते हैं। विनाश करेंगे तो किसके द्वारा करेंगे -जिसके नाम में ही बम-बम है। हर-हर बम-बम। शंकर। तो शिव , शंकर द्वारा विनाश का कार्य करते हैं।

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शिवरात्रि का महत्व क्या है?

इस शिवरात्रि के समय की बोहोत भारी महत्व है। यह वह समय है जब हम भगवान शिव से प्राप्ति कर सकते हैं। इस समय यदि कोई चाहे तो पुरे 84 जन्मों के लिए सुख और शांति का वर्षा प्राप्त कर सकता है।

इस समय शिवबाबा को याद करने से आत्मा के 5 विकार ख़त्म हो  जाते हैं और आत्मा पावन बन जाती है। आत्मा में जो पिछले जन्मों का पाप कर्म है वो भी कट जाता है।

इस समय को हीरे तुल्य कहा गया है - इस समय भगवान साकार में आकर मिलते हैं। सतयुग की इतनी महिमा नहीं है जितनी महिमा इस शिवरात्रि के समय की है।

इसे ज्ञानी लोग :- संगमयुग के नाम से जानते हैं।
यानि कलियुग और सतयुग के मिलने का समय। इसी समय की सारी महिमा है। इसी समय कोई चाहे तो मनुष्य से देवता पद प्राप्त कर सकता है।

इसी शिवरात्रि के समय भगवान शिव ,भक्ति का फल "ज्ञान " अपने भक्तों को देने आते हैं। जिस ज्ञान से वे भगवान को पहचान पाते हैं।
और इस प्रकार यह शिवरात्रि का समय बहुमूल्य और हीरेतुल्य है।

शिवरात्रि से क्या सिख मिलती है?

शिवरात्रि से हमें यह सिख मिलती है कि अज्ञान अंधकार के बाद ज्ञान सोझरा जरूर होता है। अज्ञानता और पाप  की जब अति हो जाती है तो उसका अंत भी हो जाता है।
पाप कर्म करने वालों को उसका परिणाम जरूर मिलता है और पुण्य कर्म करने वालों को उसका फल भी जरूर मिलता है।

इसीलिए जब सारी दुनिया दलदल में जा रही हो तो हमें भी दलदल में ना जाते हुवे किनारा कर लेना चाहिए और उस सत्य राह की तलाश करनी चाहिए जो हमें 5 विकारों के दलदल से बाहर निकाल सके।

तो भाइयों ये थी जानकारी शिवरात्रि के बारे में। शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है ,उसका महत्व -सिख और कुछ अन्य जानकारी। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी।


यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।

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