1. पांच साल तक पुत्र को लाड़ एवं प्यार से पालन करना चाहिए , 10 साल तक उसे छड़ी से डराए , लेकिन जब वह 16 साल का हो जाये , तो उससे मित्र के समान व्यवहार करे।
2. दुष्ट पत्नी ,झुठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।
3. उस देश में निवाश न करे ,जहाँ आपकी कोई इज्जत ना हो। जहाँ आप कोई रोजगार नहीं कमा सकते। जहाँ आपका कोई मित्र नहीं और जहाँ आप कोई ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते।
4. नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्तव्य का पालन न कर रहा हो , रिस्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत में घिरे हों , मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों में करे , और जब आपका वक़्त अच्छा ना चल रहा हो ,तब पत्नी की परीक्षा करे।
5. उस व्यक्ति ने धरती में ही स्वर्ग पा लिया :- जिसका पुत्र आज्ञाकारी है। जिसकी पत्नी उसकी इक्षा के अनुसार व्यवहार करती है। जिसे अपने धन पर संतोष है।
6. ऐसे लोगों से बचें जो आपकी मुँह पर तो मीठी बातें करते है ,लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद बनाने की योजना बनाते है ,ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।
7. मूर्खता दुखदायी है ,जवानी भी दुखदायी है ,लेकिन इन सब से कही ज्यादा दुखदायी किसी दूसरे के घर जाकर उसका अहसान लेना है।
8. पत्नी का वियोग होना ,अपने ही लोगों से बेइज्जत होना ,बचा हुआ ऋण , दुष्ट राजा की सेवा करना ,गरीबी और दरिद्रों की सभा - यह 6 बातें शरीर को बिना अग्नि के ही जला देती है।
9. वेश्या को निर्धन व्यक्ति को त्याग देना चाहिए , प्रजा को पराजित राजा को त्याग देना चाहिए। पक्षियों को फलरहित व्रिक्ष त्याग देना चाहिए एवं अतिथियों को भोजन करने के पश्चात मेजबान के घर से निकल देना चाहिए।
10. मन में सोचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करे बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें।
11. जो व्यक्ति दुराचारी ,कुदृष्टि वाले ,एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है ,वह शीघ्र नष्ट हो जाता है।
12. शक्तिशाली लोगों के लिए कौन सा कार्य कठिन है ? व्यपारियों के लिए कौन सा जगह दूर है ? विद्वानों के लिए देश विदेश नहीं है ,मधुभाषियों के लिए कोई शत्रु नहीं है।
13. जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता व्रिक्ष सम्पूर्ण वन को जला देती है. उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सारे कुल के मान ,मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देती है।
14. निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है। .. i ) व्यक्ति कितने साल जियेगा ii ) वह किस प्रकार का काम करेगा iii )उसके पास कितनी संपत्ति होगी। iv )उसकी मृत्यु कब होगी
15 . सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अंधकार को भगाता है ,असंख्य तारे यह काम नहीं करते।
16. एक ऐसा बालक जो जन्म के समय मृत था। एक मुर्ख दीर्घ आयु बालक से बेहतर है। पहला बालक तो 1 क्षण के लिए दुःख देता है , दूसरा बालक अपने माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है।
17. जब आप तप करते है , तो अकेले करें। अभ्यास करते है तो दूसरों के साथ करे। गायन करते है तो 3 लोगों के साथ करे। कृषि 4 लोगों के साथ करे ,युद्ध अनेक लोग मिलकर करें।
18. जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है ,उसे दूर करो। जिस गुरु के पास आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो। जिस पत्नी के पास हरदम घृणा है उसे दूर करो। जिन रिस्तेदारों के पास प्रेम नहीं है उसे दूर करो।
19. सोने की परख उसे घिस कर ,काट कर ,गरम कर के ,और पिट कर की जाती है। उसी तरह व्यक्ति का परिक्षण वह कितना त्याग करता है ,उसका आचरण कैसा है ,उसमें गुण कौन से है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है।
20. दान गरीबी को ख़त्म करता है ,अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है। विवेक अज्ञान को नस्ट करता है। जानकारी भय को समाप्त करती है।
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22. जिसने अपने स्वरुप को जान लिया उसके लिए स्वर्ग तो तिनके के सामान है। एक पराक्रमी योद्धा अपने जीवन को तुक्ष मानता है। जिसने अपनी कामना को जित लिया उसके लिए स्त्री भोग का विषय नहीं। उसके लिए सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तुक्ष है जिसके मन में कोई आसक्ति नहीं।
23. जब आप सफ़र पर जाते हो तो विद्या अर्जन ही आपका मित्र है ,घर में पत्नी मित्र है ,बीमार होने पर दवा मित्र है ,अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एक मात्र मित्र है।
24. पक्षियों में कौआ नीच है। पषुओं में कुत्ता नीच है। जो तपश्वी पाप करता है वह घिनोना है। लेकिन जो दूसरों की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है।
25. राजा ,ब्राह्मण और तपश्वी योगी ,जब दूसरे देश जाते है ,तो आदर पाते है। लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है।
26. जो जन्म से अँधा है वह देख नहीं सकता। उसी तरह जो वासना के अधीन है वह भी देख नहीं सकता। अहंकारी व्यक्ति को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है। और जो वैसे ही पीछे पड़े है उनको उनके कर्मों में कोई पाप नहीं दिखाई देता।
27. एक लालची आदमी को भेंट देकर संतुस्ट करे। एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुस्ट करे। एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुस्ट करे। एक विद्वान आदमी को सच बोलकर संतुस्ट करें।
28. शेर से यह बात सीखें की आप जो भी करना चाहते हो एकदिली से और जबरदस्त प्रयास से करो।
29. बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह ,समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करें।
30. मुरगे से यह 4 बातें सीखें। i ) सही समय पर उठे ii ) निडर बने और लड़े iii )संपति का रिस्तेदारों से उचित बंटवारा करे iv ) अपने कस्ट से अपना रोजगार प्राप्त करें।
31. कौआ से ये 5 बातें सीखें। i ) अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करें। ii ) निडरता iii ) उपयोगी वस्तुओं का संचय करें iv ) सभी और दृस्टि घुमाये। v ) दूसरों पर आसानी से विश्वास न करें।
32. कुत्ते से ये बातें सीखें। i ) बहुत भूख हो पर खाने को कुछ न मिले या कम मिले तो भी संतोष करें।
ii ) गहरी नींद में भी क्षण से उठ जाये। iii ) अपने स्वामी के प्रति बेहिचक ईमानदारी रखें। iv ) निडरता।
33. गधे से यह 3 बातें सीखें। i ) अपना बोझा ढोना ना छोरे। ii ) सर्दी गर्मी की चिंता न करें। iii ) सदा संतुस्ट रहें।
34. एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए। i ) की उसकी दौलत खो चुकी है। ii ) उसे क्रोध आ गया है। iii ) उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया। iv ) लोगों ने उसे जो गलियां दी। v ) वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है।
35. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में , ज्ञान अर्जन करने में ,खाने में ,और काम धंधा करने में सर्माता नहीं है वह सुखी हो जाता है।
36. व्यक्ति निचे दिए हुए 3 चीजों से संतुस्ट रहे। i ) खुद की पत्नी ii ) वह भोजन जो विधाता ने प्रदान किया। iii ) उतना धन जितना ईमानदारी से मिल गया।
37. लेकिन व्यक्ति को निचे दिए हुए 3 चीजों से संतुस्ट नहीं रहना चाहिए। i ) अभ्यास ii ) भगवन का नाम स्मरण iii ) परोपकार
38. एक शक्तिशाली व्यक्ति से उसकी बात मानकर समझौता करें। एक दुस्ट का प्रतिकार करें। और जिनकी शक्ति आपकी शक्ति के बराबर है , उनसे समझौता विनम्रता से या कठोरता से करें।
39. अपने व्यवहार में बोहोत सीधे न रहे। आप यदि वन जाकर देखते है , तो पाएंगे की जो पेड़ सीधे उगे उन्हें काट लिया गया और जो पेड़ आधे तिरछे है वो खड़े हैं।
40. नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है , माध्यम वर्ग के दौलत और इज़्ज़त। लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्योंकि सम्मान ही उच्च लोगों की असली दौलत है।
41. दीपक अँधेरे का भक्षण करता है , इसीलिए काला धुंआ बनता है। इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते है। मतलब सात्विक , राजसिक ,तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न करते है।
42. विद्वान लोग तो तत्व को जानने वाले है ,उन्होंने कहा है की मॉस खाने वाले चांडालों से हज़ार गुना नीच है। इसीलिए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं।
43. शरीर में मालिश करने के बाद , समसान में चिता का धुआं शरीर पर आने के बाद ,सम्भोग करने के बाद ,जब तब आदमी नहां न ले वह चांडाल रहता है।
44. जल अपच की दवा है , जल चेतन्य निर्माण करता है। यदि उसे भोजन पच जाने के बाद पिए। पानी को भोजन के बाद तुरंत पीना विश पिने के समान है।
45. वह आदमी अभागा है , जो अपने बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु देखता है। वह भी अभागा है , जो अपनी सम्पदा , संबंधियों को सोंप देता है। वह भी अभागा है जो खाने के लिए दूसरों पर निर्भर है।
46. एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं। संतोष के समान कोई सुख नहीं। लोभ के समान कोई रोग नहीं।
47. यह धरती उन लोगों के भार से दबी जा रही है , जो मांस खाते है , दारू पीते है ,बेवकूफ है ,वे सब तो मनुष्य होते हुए पशु के समान है।
48. वो कमीने लोग जो दूसरों की खामियों को उजागर करते हुए फिरते है। उसी तरह नष्ट हो जाते है जिस तरह सांप चीटियों के टीलों में जाकर मर जाता है।
49. अमृत सबसे बढ़िया औसधि है। इन्द्रिय सुख में अच्छा भोजन सर्वश्रेस्ठ सुख है। नेत्र सभी इन्द्रियों में श्रेस्ठ है। मस्तक शरीर के सभी भागों में श्रेस्ठ है।
50. जिसके डांटने से सामने वाले के मन में डर नहीं पैदा होता और प्रसन्न होने के बाद जो सामने वाले को कुछ देता नहीं है। वह ना किसी की रक्षा कर सकता है ना किसी को नियंत्रित कर सकता है। ऐसा आदमी भला क्या कर सकता है।
51. ग़रीबी पर धैर्य से मात करें। पुराने वस्त्रों को स्वक्ष रखें। बासी अन्न को गरम करे. अपनी कुरूपता पर अपने अच्छे व्यवहार से मात करें।
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