Holi ki chutti ke liye application । Holi leave application in hindi and english । Application for Holi leave
holi leave application |
हिंदी में जानकारी
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नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारी वेवसाइट anekroop.com में । अगर आप अपने वार्ड के parshad ko application लिखना चाहते है तो यह पोस्ट ( parshad ko application kaise likhe? ) केवल आपके लिए है।
हमने इस article में आपको parshad के बारे में सब कुछ जानकारी दी है और बताया है कि कैसे आप parshad ko application लिख सकते हैं। with examples और format भी।
parshad ko application kaise likhe |
सबसे पहले हम parshad के बारे में जान लेते है।
शब्द | पर्यायवाची शब्द |
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बच्चा | बालक, शिशु, किशोर |
घर | आवास, निवास, सदन |
माँ | मां, जननी, अम्मा |
पिता | पापा,बाबा, ताता |
हाथ | कर, हस्त, पाणि |
पैर | चरण, पग,पाद |
आँख | नयन, नेत्र, लोचन |
मुंह | ओष्ठ, अधर, मुखारविंद |
दांत | दंत, दाँत, दंतपंक्ति |
बाल | केश, रोम, जटा |
त्वचा | चर्म, खाल, त्वचा |
सूरज | रवि, भानु, दिनकर |
चाँद | शशि, चंद्र, इंदु |
बादल | मेघ, घन, अंबर |
बारिश | वर्षा, जल, मेघ |
हवा | वायु, पवन, समीर |
आग | अग्नि, ज्वाला, लपट |
पानी | जल, तरल, नीर |
नदी | सरिता, नदी, धारा |
पहाड़ | पर्वत, गिरि, शैल |
पेड़ | वृक्ष, तरु, वनस्पति |
फूल | कुसुम, सुमन, पुष्प |
जानवर | पशु, प्राणी, जंतु |
उदास | दुखी,निराश,कष्ट |
मछली | मीन, जलचर, मत्स्य |
हेलो दोस्तों हमारी वेबसाइट anekroop में आपका स्वागत है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे की collector ko application kaise likhte hai.
इस article में हमने आपको collector application examples , sample और collector application format भी बताया है।
collector ko application |
Collector एक जिला का सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता है और वह जिला का प्रमुख होता है उसपर जिले की कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है।
जैसे-
नमस्कार दोस्तों आपका अनेक रूप में स्वागत है। आज हम जानेंगे सिबिल स्कोर के बारे में , कि ( सिबील स्कोर क्या होता है ? और कैसे लोन लेते समय यह हमारे काम में आता है ?) तो दोस्तों यदि आप लोन ले रहे हैं या सिविल स्कोर के बारे में जानना चाह रहे हैं तो यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए है आप इस पोस्ट को जरूर अंत तक पढ़े।
सिविल का फुल फॉर्म होता है ( क्रेडिट इनफॉरमेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड) और यह एक कंपनी है जो बैंक के लेनदेन के अनुसार से उसे एक स्कोर देती हैं, जिसे सिविल स्कोर कहते हैं।
जब भी हम बैंक से लेनदेन करते हैं, तो उस लेनदेन के अनुसार हमारा स्कोर बनता है, जैसे यदि हम बैंक से ज्यादा पैसों का लेनदेन करते हैं, या ज्यादा लेनदेन करते हैं, तो हमारा ज्यादा सिबिल स्कोर बनता है, और जब हम लोन लेते हैं और सही टाइम पर चुका देते हैं तो भी हमारा अच्छा सिविल बनता है, और जब लोन लेते हैं और बहुत लेट बाद चुकाते हैं तो खराब सिबिल स्कोर बनता है, तो इस प्रकार बैंकों के लेनदेन को ध्यान में रखते हुए सिविल स्कोर को ऊपर और नीचे रखा जाता है।
सिबिल स्कोर को पांच भागों में बांटा गया है।
पहले है 600 से कम इसको बहुत खराब सिबिल स्कोर माना गया है।
दूसरा है 600 से 649 इसको खराब सिबिल स्कोर माना गया है।
तीसरा 650 से 699 इसको सामान्य सिबिल स्कोर माना गया है।
चौथा है 700 से 749 इसको अच्छा सिबिल स्कोर माना गया है।
पांचवा है 750 से 900 इसको बहुत अच्छा सिबिल स्कोर माना गया है।
यहां पर सिबिल स्कोर को बांटने का मतलब है कि आपका जितना अच्छा सिविल स्कोर होगा, लोन लेने में आपको उतनी ही आसानी होगी और आप जल्दी लोन ले पाएंगे और लोन देने में आपको बैंक कभी भी लेट नहीं करेगी।
आपका सिबिल स्कोर 600 से कम है इसका मतलब यही है कि आप समय पर लोन नहीं चुकाते, हैं लोन लेने के बाद आप बहुत देर-देर से लोन को चुकाते हैं या फिर लेने के बाद आप पैसे नहीं चुकाते हैं, आपके ऊपर केस चल रहा हो लोन से रिलेटेड।
तो इस तरह के जो कस्टमर होते हैं उनका सिविल स्कोर बहुत ही खराब होता है और इसलिए इन कस्टमर को आगे लोन लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है ।
यदि आपका सिबिल स्कोर बहुत कम है 600 से कम है तो आपको लोन लेने में बहुत ही दिक्कत होगी और आपको लोन तभी मिलेगी जब आपके पास बहुत ज्यादा कॉलेटरल हो, सबूत के तौर पर या आप बैंक को भरोसा दिला सके कि हां हम लोन चुकता कर देंगे तभी जो है कि इस तरह के सिविल स्कोर में आपका लोन पास होगा।
जब आपका सिबिल स्कोर 600 से 649 है इसका मतलब भी आपका सिबिल स्कोर खराब है लेकिन इसमें संभावना है कि आपको लोन मिल सकता है।
649 का सिविल स्कोर यानी बहुत ही खराब है ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि समय पर हम लोन नहीं चुकाते हैं, हम सोचते हैं अभी टाइम है ना, समय है, बाद में दे देंगे , लेकिन लोगों को मालूम नहीं होता है, अवेयरनेस नहीं होती है, कि यदि हम समय सीमा के बाद लोन का पैसा देते हैं तो हमारा सिविल स्कोर घटता है।
देखिए यहां पर लोगों को गलत नहीं बताया गया है बल्कि अवेयरनेस की कमी है यदि लोग अवेयर हो सिविल स्कोर के बारे में तो वह टाइम पर पैसे दे देंगे, लेकिन अवेयरनेस नहीं होती है सिविल स्कोर के बारे में इसीलिए लोग थोड़ा लेट पेमेंट करते हैं, वह सोचते हैं कि समय तो है, हम आज नहीं 1 महीने बाद कर देंगे, अच्छा अभी पूजा चल रहा है पूजा के बाद दे देंगे । उनके इरादे सही होते हैं लेकिन समय के टलने की वजह से उनका सिविल स्कोर खराब हो जाता है।
650 से 699 यदि आपका सिविल स्कोर है तो संभावना है की आपको लोन मिल सकता है ऐसा इसलिए क्योंकि यहां तक के सिबिल स्कोर को एवरेज सिविल स्कोर कहा गया है। इसका मतलब यह है कि आप जब लोन लेते हैं तो समय पर आप चुका देते हैं आप ज्यादा लेट नहीं करते हैं और आप बैंक से भी ज्यादा लेनदेन करते हैं इसलिए आपका इतना अच्छा सिबिल स्कोर है।
किंतु इसमें दिक्कत यह है कि जब हम छोटे-छोटे लोन लेते हैं ,तब भी सिबिल स्कोर कम होता है , तो यदि आप छोटे लोन ले रहे हैं छोटे समय के लिए लोन ले रहे हैं, तब भी आपके सिविल स्कोर कम होगा।
जैसे यदि आप साल 1 साल का लोन लेते हैं या फिर 6 महीना का लोन लेते हैं और फिर उसे टाइम पर चुकाते हैं तो पर भी हमारा सिविल स्कोर कम हो जाता है। क्योंकि ऐसे लोन से बैंक को बोहोत कम फायदा होता है,
लेकिन ऐसे सिविल स्कोर पर संभावना होती है कि कस्टमर को लोन दे दिया जाए क्योंकि वह समय पर अपना लोन दे रहे हैं भले ही वह कम पैसों का लोन ले रहे हैं लेकिन वह समय पर लोन का पैसा दे रहे हैं इसलिए उनको लोन दे दिया जाता है।
700 से 749 यदि आपका सिविल स्कोर है इसका मतलब यह है कि आप बहुत अच्छे हैं लोन चुकाने के संबंध में, आपके और आपके बैंक से अच्छा संबंध है, जब भी आप कोई लोन लेते हैं तो उसे समय पर चुकाते हैं और आप लंबे समय के लिए लोन लेते हैं।
और यदि आप पहली बार लोन ले रहे हैं तब भी आपका सिबिल स्कोर 700 से 749 तक ही रहता है, जिसे हम -1 सिविल स्कोर भी कहते हैं, यदि आप पहली बार लोन ले रहे हैं तो यही सीमित स्कोर आपका रहता है जिसमें आपको लोन दे दिया जाता है।
ज्यादातर लोग, जब पहली बार लोन लेते हैं तो उन्हें लोन दे दिया जाता है ,इसे पर्सनल लोन भी कहते हैं जब आप पर्सनल लोन लेते हैं तब आपका सिविल स्कोर इतना ही रहता है।
और यदि आप घर बनाने के लिए या पढ़ाई के लिए या फिर बहुत ज्यादा रुपयों का लोन ले रहे हैं तब आपके सिविल स्कोर को भी देखा जाता है और कॉलेटरल को भी देखा जाता है यानी आपकी इनकम को भी देखा जाता है कि आप कितना रुपए कमाते हैं, उसके अनुसार जो है कि आपको अधिक रुपयों का लोन दिया जाता है । और यदि आप पर्सनल लोन ले रहे हैं बहुत कम पैसों का, जैसे 2 लाख ,3 लाख रुपयों का तो आपको जो है कि आपका सिविल स्कोर देखकर लोन दे दिया जाता है।
यदि आपका सिविल स्कोर 750 से 900 तक है, इसका मतलब आप बहुत अच्छे हैं, बैंक के नजर में आप बहुत समय-समय पर अपना लोन चुकाते हैं , और आपने एक बार नहीं बल्कि कई बार लोन लिया है, और समय-समय पर आप लोन चुकाते हैं, आप बैंक को फायदा करते हैं इसलिए ऐसे लोगों को बैंक खुद खोजती है और लोन देना चाहती है जिनका सिबिल स्कोर 750 से 900 तक होता है।
देखिए सिबिल स्कोर एक बार लोन लेने से नहीं अच्छा हो जाता है यदि आपको बहुत अच्छा सिबिल स्कोर बनाना है 900 के आसपास तो उसके लिए आप को कई बार लोन लेना पड़ता है और समय पर उसे चुकाना पड़ता है, इससे बैंक समझ जाते हैं कि यह कस्टमर जो है मेरा फायदा पहुंचा रहा है तो बैंक खुद उसे ढूंढती है और उसे लोन देती है।
तो यदि आप बिजनेसमैन है आप पैसों का लेनदेन ज्यादा करते हैं, तो मैं आपसे कहूंगा कि आप अपना सिबिल स्कोर बहुत अच्छा रखें 800 और 900 के आसपास ताकि आपको कभी भी बैंक से लोन लेने में दिक्कत ना हो लेकिन इसके लिए क्या करना होगा कि आपको टाइम पर अपना लोन पेमेंट करना होगा और यदि आप टाइम पर लोन पेमेंट ना कर रहे हैं तो आपको कम से कम एक नोटिस दे देना होगा ताकि बैंक समझ जाए कि यह अगले महीने लोन पेमेंट कर देगा।
तो नोटिस देखकर यदि आप लोन को बाद में पेमेंट करते हैं तो आपका सिविल स्कोर अच्छा हो जाता है लेकिन यदि आप बिना नोटिस के पेमेंट नहीं कर पाते तो इससे आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है।
क्या होता है बिजनेस में कभी-कभी घटा भी होता है कभी-कभी फायदा भी होता है तो लोग बहुत अच्छे सिविल स्कोर को बनाए नहीं रख पाते हैं इसीलिए लोगों का सिबिल स्कोर खराब हो जाता है।
तो अच्छा सिबिल स्कोर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप समय पर अपना लोन का पेमेंट दें और बैंक से एक अच्छा संबंध बना कर रखें, देखिए यह सिबिल स्कोर क्या है एक बाहरी चीज है यह कागजी चीज है, लेकिन आपका जो कनेक्शन होगा बैंक के साथ वह अंदरूनी चीज है।
तो यदि आप बैंक से बहुत लम्बे समय से जुड़े हुए हैं और बहुत लंबे समय से लोन ले रहे हैं और उसका पेमेंट कर रहे हैं, एक अच्छा संबंध बन गया है बैंक के साथ तो फिर आपको उस समय आसानी से लोन मिल जाता है , भले उस समय आपका सिविल स्कोर थोड़ा सा कम हो 600- 700 या उससे भी कम हो तो भी बैंक भरोसा करके आपको लोन दे देती है यदि आप बहुत लंबे समय से बैंक से जुड़े हैं तो।
तो इस तरह सिबिल स्कोर काम करता है लोन के संबंध में ,और यदि आप पहली बार लोन ले रहे हैं तब भी यह सिविल स्कोर काम आएगा और जब आप दूसरी लोन लेने जाएंगे तब आपका सिविल स्कोर जरूर देखा जाएगा इसलिए यदि आप बैंक से अच्छा संबंध बनाए रखना चाहते हैं तो अपने सिविल स्कोर को जरूर अच्छा रखें ताकि आगे आने वाले समय में आपको परेशानी ना हो और आप आसानी से लोन ले सकें।
तो दोस्तों यह थी जानकारी सिबिल स्कोर के बारे में कि (सिबिल स्कोर क्या होता है ? और कैसे लोन लेते समय यह हमारे काम में आता है?) मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो जरूर हमें नीचे कमेंट करके बताएं और इस पोस्ट को जरूर अन्य लोगों तक शेयर करें ताकि उन्हें भी सिविल स्कोर के बारे में पता चल सके बहुत-बहुत धन्यवाद।
Yah bhi jane -
नमस्कार दोस्तों आपका अनेक रूप में स्वागत है। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि ( जीएसटी से किसको फ़ायदा हुवा है ? और किसको नुकसान हुवा है ?) और यह भी समझेंगे कि जीएसटी क्या है? और किन-किन सामानों में कितना जीएसटी लगता है? और जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं?
जीएसटी यानी ( Goods and Services Tax)। यानी वस्तुओं में और सर्विसेज में जो टैक्स लगता है उसे हम जीएसटी कहते हैं। जीएसटी को भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया है और इसे टैक्स में और सुधार करने के लिए बनाया गया है।
यह एक देश एक टैक्स के सिस्टम को बढ़ावा देता है , इसका मतलब पूरे देश में वस्तुओं के ऊपर एक ही टैक्स लगाया जाएगा इसलिए भी जीएसटी को लाया गया है।
जैसे आपका इलेक्ट्रॉनिक का दुकान है, आप टीवी बेचते हैं, तो उस पर 12% का टैक्स है चाहे आप मुंबई में रह रहे हैं या आप चेन्नई में रह रहे हैं, आपको एक ही टैक्स लगेगा।
जीएसटी में पेट्रोलियम, अल्कोहल और नेचुरल गैस को छोड़कर लगभग सभी वस्तुओं को सामिल किया गया है।
जीएसटी 4 प्रकार के होते हैं, एक है केंद्रीय जीएसटी जिसे हम (सीजीएसटी - CGST) कहते हैं दूसरा है राज्य जीएसटी जिसे हम (एसजीएसटी - SGST) कहते हैं और तीसरा है ( इंटीग्रेटेड जीएसटी) और चौथा है ( यूटीजीएसटी - UGST)।
यूटीजीएसटी मतलब यूनियन टेरिटरी जीएसटी जहां पर उनकी अपनी विधानसभाएं नहीं होती है।
केंद्रीय जीएसटी और यूटीजीएसटी को केंद्र सरकार लागू करती है वहीं राज्य जीएसटी को राज्य सरकार लागू करती है।
लगभग सभी वस्तुओं में केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक साथ मिलकर के जीएसटी लगाती है, और जो वस्तुएं जीएसटी से बाहर है उन कारोबारों को छोड़कर लगभग सभी में समान रूप से टैक्स लगाया जाता है।
जैसे, इलेक्ट्रॉनिक सामान है, तो उन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार का एक ही तरह का जीएसटी रहता है, वही जैसे पेट्रोलियम है , जिस पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है, इसीलिए राज्य सरकार अपने अनुसार उन पर टैक्स लगाती है। और यही वजह है कि आपको हर एक राज्य में पेट्रोल का दाम अलग-अलग दिखाई देता है।
लेकिन अब आप पूछेंगे कि फिर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के जीएसटी में क्या अंतर है?
देखिए दोनों सरकार के अपने-अपने वस्तुएं हैं जिनपर वह टैक्स लगाते हैं
जैसे केंद्र सरकार ,, किसी भी सामान के बनने के ऊपर टैक्स लगाती है ,, उन पर जो खर्च होता है उन पर टैक्स लगाती है,, उनका जो सर्विसेज होता है उन पर टैक्स लगाती है,, और फिर उनका जो ट्रांसपोर्टेशन होता है उन पर टैक्स लगाती है।
वही जो राज्य सरकार है ,, वह अपने स्तर पर सेल्स टैक्स लगाती है,, मनोरंजन का टैक्स लगाती है जैसे सिनेमा हो गया,, बिक्री के ऊपर टैक्स लगाती है,, अपने प्रदेश में आने पर टैक्स लगाती है,, लॉटरी के ऊपर टैक्स लगाती है,, सट्टा या जुआ इत्यादि जितने भी प्रोग्राम होते हैं उन पर टैक्स लगाती है।
तो इस तरह केंद्र सरकार के अंतर्गत जो आते है उन पर वे टैक्स लगते हैं, और जो राज्य सरकार के अंतर्गत आते है उन पर वे अपना टैक्स लगाते हैं,, इस तरह दोनों सरकारों का अलग-अलग टैक्सेशन सिस्टम हो जाता है।
जीएसटी 0%,, ऐसी वस्तुएं जिन पर कोई भी तरह का टैक्स नहीं लगता है, इनमें है अनाज, दूध, नमक, काजल नैपकिन, म्यूजिक के किताबें इत्यादि।
जीएसटी 5%,, ऐसी वस्तुएं जिन पर 5 % का जीएसटी टैक्स लगता है ,जैसे,, चाय पत्ती, चीनी, सस्ते कपड़े, जूते, चप्पल, अगरबत्ती, काजू, बायोगैस इत्यादि।
जीएसटी 12%,, ऐसी वस्तुएं जिन पर 12% का जीएसटी लगता है, जैसे मोबाइल, प्लास्टिक की माला, रेडियो लेंस, खाने के मुरब्बा इत्यादि।
जीएसटी 18 % ,, ऐसी वस्तुएं जिन पर 18 % जीएसटी लगता है, जैसे,, टूथपेस्ट, कंप्यूटर ,टेबलेट खाने का तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, कंप्यूटर इत्यादि।
जीएसटी 28%,, ऐसी वस्तुएं जिन पर 28% जीएसटी लगता है, जैसे,, मोटरसाइकिल,कार, ए .सी, फ्रिज इत्यादि।
जीएसटी को वित्त मंत्रालय के द्वारा बढ़ाया भी जाता है और जीएसटी को घटाया भी जाता है, इसीलिए कई सामान जो बोहोत किफायती होते हैं तो उन पर ज्यादा जीएसटी लगाया जाता है और कई सामान की जरूरत जब बढ़ जाती है तो उन पर कभी-कभी जीएसटी को घटाया भी जाता है।
अब चलिए चलते हैं अपने मुख्य मुद्दे पर की जीएसटी से किसको फायदा हुआ और किसको नुकसान हुआ?
आप सभी को पता होगा कि जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा जो है वह केंद्र सरकार को हुआ है लेकिन किन-किन चीजों में हुआ है चलिए उसको हम समझ लेते हैं,
व्यापार मे,, व्यापार के लेनदेन से सरकार को बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ है क्योंकि जीएसटी के आने से टैक्स लेना बहुत ही सरल हो गया है और इसमें नए-नए कंपनियां जुड़ने से बहुत ही ज्यादा टैक्स की वसूली होने लगी।
राज्य सरकार को भी जीएसटी लागू होने से बहुत ही ज्यादा फायदा हुआ है क्योंकि अब टैक्स लेने में पारदर्शिता आई है जिसके कारण राज्य सरकार को भी बहुत ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
2023 के राजस्व संग्रह के अनुसार राज्य सरकार ने 98000 करोड़ का मुनाफा किया है, वहीं केंद्र सरकार ने 1 लाख 70 हज़ार करोड रुपए का मुनाफा किया है केवल जीएसटी से।
आम लोगों को भी,, जीएसटी आने से सामान के ले आने और ले जाने में लाभ हुआ है जिससे व्यापार में बढ़ोतरी हुई है और व्यापार तेजी से आगे बढ़ रही है।
जीएसटी से सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों को हुआ है, क्योंकि जो दिन प्रतिदिन इस्तेमाल की जाने वाली चीजें हैं जैसे खाने का तेल, सरसों तेल, उसपर 18 % टैक्स लिया जा रहा है, जो की गरीबों के लिए चिंता का विषय है, 18 % टैक्स बहुत ज्यादा हो जाता है क्योंकि गरीब जो है वही तेल नमक चीनी यही सब पर आश्रित रहते हैं ,किंतु सरसों के तेल के ऊपर 18 % टैक्स लेकर के गरीबों को और गरीब बनाने की कोशिश की जा रही है।
यहां तक की बैंकिंग सिस्टम के ऊपर भी 18 पर्सेंट टैक्स लिया जा रहा है जो कि पहले 15% था जिससे कि बैंकिंग सेवाएं और भी ज्यादा महंगी हो गई है और आम लोगों के ऊपर इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है।
पेट्रोल के ऊपर जीएसटी ना लगने पर भी आम लोगों के ऊपर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि लगभग 40 से 50 % टैक्स पेट्रोल के ऊपर लगाया जा रहा है, यदि यही जीएसटी रहता तो इस पर बहुत कम टैक्स लगता ,तो पेट्रोल की कीमतें इतनी नहीं बढ़ जाती बल्कि बहुत ही कम रहती।
जिस पर जीएसटी लगाना चाहिए उसपर तो सरकार जीएसटी लगाती नहीं है, और जिस पर जीएसटी नहीं लगानी चाहिए उन पर सरकार जीएसटी लगती है ।
इस प्रकार सरकार जो है दो मुख होकर के नीतियां लागू करती है, सरकार सिर्फ अपना फायदा देखती है कि वह जानती है कि यदि पेट्रोल के ऊपर जीएसटी लगाएंगे तो मेरा मुनाफा नहीं होगा हम ज्यादा मुनाफा नहीं कमा पाएंगे, इसलिए वह पेट्रोल के ऊपर जीएसटी नहीं लगाती है और वह जानती है कि खाने का समान हो गया, इलेक्ट्रॉनिक सामान हो गया, और बाकी सब चीज हैं इन पर अगर टैक्स लगाएंगे तो हम ज्यादा मुनाफा कमाएंगे, बाकी उनको ना तो देशवासियों की चिंता है और ना ही सरकार को किसी की परवाह है।
कुल देखा जाए तो जीएसटी लाने का मकसद केवल और केवल सरकार को फायदा पहुंचाना है, पहले क्या होता था कि बिचौलिए लोग जो होते थे, टैक्स नहीं देते थे, लेकिन जीएसटी आने से सरकार को बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ और आम लोगों को इस पर बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।
क्योंकि उनको आप टैक्स देना ही देना है वह किसी भी तरह से टैक्स देने से नहीं छुप सकते क्योंकि सारा कुछ डिजिटल हो गया है इसलिए हम लोग और ज्यादा गरीब हो रहे हैं खाने के लिए भी हमारे पास पैसे नहीं है ।
क्योंकि टैक्स से सामान की कीमतें बहुत ज्यादा हो गई है वही नौकरी नहीं है और ना ही पैसे कमाने का कोई जरिया है जिसपर अपना अपना घर चला सके , तो इस तरह से जीएसटी केवल सरकार को फायदा पहुंचाने वाली सिस्टम है, जो दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रही है पिछले साल 1 लाख 20 करोड रुपए टैक्स से वसूला गया और इस साल 1 लाख 70 करोड रुपए हो गए यानी साफ तौर पर देखा जा रहा है कि जीएसटी से सरकार को बहुत ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
वहीं आम लोग और ही गरीब होते जा रहे हैं तेल के दाम हो गया, बैंकिंग सिस्टम हो गया और भी ऐसी ऐसी चीजें हैं जिन पर टैक्स लगाया जा रहा है, खाने की चीज हैं जिन पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाया जा रहा है, जो की बिल्कुल बर्दाश्त के बाहर है इसलिए मैं आपसे कहना चाहूंगा कि जीएसटी केवल और केवल सरकार को मुनाफा देने वाली टैक्सेशन सिस्टम है।
तो दोस्तों यह थी जानकारी की (जीएसटी से किसको फायदा हुवा है ? और किसको नुकसान हुआ है ?) मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो जरूर हमें नीचे कमेंट करके बताएं और इस पोस्ट को जरूर अन्य लोगों तक शेयर करें ताकि उन्हें भी जीएसटी के ऊपर जानकारी मिल सके और वह सबकुछ समझ सके। धन्यवाद।
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नमस्कार दोस्तों आपका अनेक रूप में स्वागत है। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि क्रेडिट कार्ड कब लेना चाहिए और कब नहीं लेना चाहिए? यदि आप क्रेडिट कार्ड लेने की सोच रहे हैं या आप क्रेडिट कार्ड से संबंधित जानकारी जानना चाहते हैं, तो यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए है इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि क्रेडिट कार्ड की जरूरत क्यों होती है और कब आपको क्रेडिट कार्ड लेना चाहिए। लेकिन उससे पहले हम जान लेते हैं कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है?
क्रेडिट कार्ड नाम से ही आप समझ गए होंगे कि ऐसा कार्ड जिसमें आपको क्रेडिट दिया जाता हो, यानी पैसे खर्च करने के लिए दिया जाता है, तो ऐसे कार्ड को हम क्रेडिट कार्ड कहते हैं जिसमें आपको पहले से ही पैसे खर्च करने के लिए दिया जाता है, और बाद में फिर उसके इंटरेस्ट के साथ पैसे वसूला जाता है।
क्रेडिट कार्ड आपको पैसे खर्च करने के लिए पहले से ही देती है, जब आप पैसे खर्च करते हैं एक समय सीमा तक आपको इंटरेस्ट नहीं लगता है, लेकिन जब एक समय सीमा तक आप पैसे नहीं जमा कर पाते हैं तो फिर आपको उसमें इंटरेस्ट लगने लगता है।
जैसे आप ₹1000 खर्च करते हैं क्रेडिट कार्ड से और क्रेडिट कार्ड का समय सीमा था एक महीने। यदि 1 महीने तक आप पैसे वापस नहीं करते हैं तो फिर आपको इंटरेस्ट देना पड़ेगा , तो जैसे ही एक महीने के बाद आप पैसा जमा करने जाते हैं तो फिर आपको 1000 के ऊपर इंटरेस्ट लगने लगता है।
तो इस तरह क्रेडिट कार्ड की कंपनियां पैसे कमाती है और यही होता है क्रेडिट कार्ड का बिजनेस या आप इसे मॉडल भी कह सकते हैं।
देखिए हर एक बैंक के क्रेडिट कार्ड में अलग-अलग फीचर्स होते हैं, कोई बैंक आपको शॉपिंग करने पर ज्यादा का डिस्काउंट देते हैं और कोई बैंक आपको शॉपिंग करने पर बहुत काम का डिस्काउंट देते हैं, ज्यादातर बैंक आपको शॉपिंग करने पर ज्यादा डिस्काउंट देते हैं, ऐसा इसलिए ताकि वह अपने ग्राहक को लुभा सके और क्रेडिट कार्ड उसे दे सके।
यदि बैंक, शॉपिंग करने पर डिस्काउंट नहीं देगी तो कोई भी क्रेडिट कार्ड नहीं लेगा , इसीलिए बैंक शॉपिंग करने पर ज्यादा डिस्काउंट देती है, तो आप वैसा ही क्रेडिट कार्ड ले जो शॉपिंग करने पर आपको ज्यादा डिस्काउंट दे ताकि आपको भी ज्यादा फायदा हो।
तो यदि आप ऑनलाइन या ऑफलाइन ज्यादा शॉपिंग करते हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड ले लेना चाहिए, ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप क्रेडिट कार्ड से ज्यादा का शॉपिंग करते हैं तो उसमें लगभग 5% तक का छुट दिया जाता है, जैसे यदि आप ऑनलाइन ₹10000 का शॉपिंग करते हैं तो उसका 5%, यानि ₹500 आपको छूट मिलता है। तो इसीलिए यदि आप ऑनलाइन या ऑफलाइन शॉपिंग करते हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड ले लेना चाहिए।।
लेकिन यहां पर बात आती है कि किस बैंक का क्रेडिट कार्ड ले, तो आप उस बैंक का क्रेडिट कार्ड ले जिस बैंक में ज्यादा ऑफर्स आते हैं और जिनके सालाना चार्ज भी कम हो, आपको पता होगा कि क्रेडिट कार्ड सालाना चार्ज लेती है जो कि लगभग ₹1000 तक होती है, यदि आप एसबीआई की बात करें तो वह लगभग 900 से ₹1000 तक सालाना चार्ज लेती है क्रेडिट कार्ड के ऊपर।
जब आप अमेजॉन, फ्लिपकार्ट या किसी भी ऑनलाइन शॉप से सामान खरीदते हैं तो आप वहां पर देखे होंगे कि नीचे डिस्काउंट का ऑप्शन रहता है कि इस क्रेडिट कार्ड से खरीदने पर 10% का डिस्काउंट, इस बैंक के क्रेडिट कार्ड से खरीदने पर 15% का डिस्काउंट. तो इन क्रेडिट कार्ड को लेने का यही फायदा होता है कि जब आप शॉपिंग करते हैं तो आपको डिस्काउंट मिलता है, लेकिन अमेजॉन में आप देख ले की किस बैंक का क्रेडिट कार्ड पर डिस्काउंट दिया जाता है, तो आप यदि अमेजॉन से शॉप करते हैं तो आप जरूर उसी का क्रेडिट कार्ड खरीद लें ताकि आपको और ज्यादा फायदा हो।
यदि आप इंटरनेशनल शॉपिंग करते हैं तब भी आप क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं क्योंकि क्या होता है कि एटीएम से और फोन पर से या वॉलेट से हम इंटरनेशनल शॉपिंग नहीं कर पाते हैं, किन्तु क्रेडिट कार्ड से हम इंटरनेशनल शॉपिंग कर पाते हैं इसलिए यदि आप इंटरनेशनल शॉपिंग करना चाहते हैं तो आप क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं।
या पेपल (paypal ) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन paypal का इस्तेमाल करने से नुकसान यह होता है कि उसमें आपकी सारी जानकारी दी हुई होती है , और paypal वाले क्या करते हैं, की आपकी सारी जानकारी को बेंच देते हैं क्योंकि वह तो है फॉरेन कंट्री में, इसीलिए उन्हें पैसे कमाना होता है, इसलिए आपका डाटा को बेंच देते हैं . इसलिए paypal उतना सुरक्षित नहीं है लेकिन यदि आप इमरजेंसी में है और आपको इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करना है तो उसके लिए paypal का इस्तेमाल कर सकते हैं और नहीं तो सबसे अच्छा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें।
यदि आप ऑनलाइन शॉपिंग नहीं करते हैं या ऑफलाइन ज्यादा शॉपिंग नहीं करते हैं तो आपको क्रेडिट कार्ड नहीं लेना चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि क्रेडिट कार्ड लेने पर आपको इंटरेस्ट देना होगा और फिर सालाना कार्ड का पैसा देना होगा।
इसलिए यदि आप एटीएम से पे करते हैं या आप कैश पे करते हैं तो आपको फिर क्रेडिट कार्ड नहीं लेने की जरूरत है।
ज्यादातर बैंक वाले क्या करते हैं, वह देखते हैं कि किसके अकाउंट में ज्यादा पैसा है और फिर उसके अनुसार से वह लोगों को कॉल करते हैं और बोलते हैं कि आप क्रेडिट कार्ड ले लीजिए , आपको शॉपिंग करने पर फायदा होगा, आप जितना ज्यादा सामान खरीदेंगे उतना ज्यादा आपको फायदा होगा लेकिन आप ऐसे लालचों में ना आए क्योंकि यह आपको फसाने का तरीका होता है,
ताकि आप उसके जाल में फँस सके और क्रेडिट कार्ड ले सके और फिर जब आप पैसे नहीं दे पाए तो इंटरेस्ट के रूप में आप उसे और ज्यादा पैसा देते रहें, तो यह एक जाल होता है बैंकों के द्वारा जो बड़े-बड़े पूंजी लोगों को क्रेडिट देकर के उन्हें बेवकूफ बनाते हैं।
यदि आप स्टूडेंट है तब भी आप क्रेडिट कार्ड न लें क्योंकि यदि आप स्टूडेंट है और यदि आप पैसे नहीं जमा कर पाए टाइम पर, तो इंटरेस्ट आपको देना पड़ेगा और आपका सर दर्द और ज्यादा बढ़ जाएगा इसलिए यदि आप स्टूडेंट है तो बिल्कुल भी क्रेडिट कार्ड न लें।
यदि आप महीने का 15 से ₹20000 कमाते हैंऔर आप क्रेडिट कार्ड लेने की सोच रहे हैं तो भी आप बिल्कुल ना लें ऐसा इसलिए क्योंकि आपका तो मन करेगा कि हम ज्यादा का सामान खरीद लें और लुभाने के चक्कर में या फिर किसी को दिखाने के चक्कर में आप सामान खरीद लेंगे ज्यादा का और फिर आप उसे ब्याज के तौर पर भरते रहेंगे इसलिए क्रेडिट कार्ड के लालच में ना आए और जितना भी आप पैसे कमा रहे हैं उसको बचा करके रखें और हो सके तो आपको जब जरूरत पड़ता है सामान लेने की तो ऑफलाइन ले ले या फिर एटीएम के द्वारा शॉपिंग कर ले या फोन से शौपिंग कर ले , जो भी आपके पास है उसे आप शॉपिंग कर ले। लेकिन क्रेडिट कार्ड से ना करें .
क्रेडिट कार्ड रहने पर हम तो सोचते हैं कि मेरे पास अभी एक महीने का टाइम है, एक महीने में हम दे देंगे ना क्या हो जाएगा, 1 महीने के बाद हम पेमेंट कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है, कभी-कभी हमारे सिचुएशंस ऐसे हो जाते हैं कि हम पैसे नहीं दे पाते हैं, और फिर जब इंटरेस्ट बढ़ता है तो वह इतना बढ़ जाता है कि फिर हम देने के लिए सोचते रहते हैं.
आपको पता होगा कि क्रेडिट कार्ड का इंटरेस्ट बहुत ज्यादा होता है इसीलिए एक बार यदि आप पैसे नहीं दे पाए तो फिर आपका इंटरेस्ट बढ़ता ही रहता है , बढ़ता ही रहता है इसलिए इसके चंगुल से बचें यदि आपके पास कम पैसे हैं तो आप बिल्कुल भी क्रेडिट कार्ड न लें।
यदि आप ऊपर में बताए गए सारी चीजों को जानते हुए भी क्रेडिट कार्ड लेना चाहते हैं तो मैं उसके लिए कुछ क्रेडिट कार्ड का नाम दे दिया हूँ , जिसे आप ले सकते है.
नोट :- यदि आप क्रेडिट कार्ड लेने की सोच रहे हैं तो क्रेडिट कार्ड से दी हुई सारी जानकारी को जरुर पढ़ ले कि उसका महीने का चार्ज, उसका सालाना चार्ज कितना है, और फिर कितने दिनों तक हमसे इंटरेस्ट नहीं लेंगे और कितने दिनों बाद में अपना इंटरेस्ट लेना चालू करेंगे और कितना पर्सेंट वह इंटरेस्ट लेंगे यह सब सारी जानकारी आप जरूर पढ़ लें उसके बाद ही आप निर्णय करें कि आपको कौन सा क्रेडिट कार्ड लेना है।
मैं अपने अनुभव से बता रहा हूं कि मैंने कई लोगों को देखा है कि उन्हें क्रेडिट कार्ड दे दिया जाता है बैंक के द्वारा , लेकिन उन्हें पता नहीं होता है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल हम कैसे करें, हम कैसे इसको इस्तेमाल कर सकते हैं, कैसे उसके पैसे को रिटर्न कर सकते हैं . उनको यहां तक भी पता नहीं होता है.
इसलिए यदि आप क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं तो क्रेडिट कार्ड से संबंधित सारी जानकारियां ले लें कि कैसे हम उसको इस्तेमाल करें , कैसे उसका पैसा जमा करना है , क्या पैसा अपने आप कट जाएगा मेरे बैंक अकाउंट से या हमको खुद से जाकर के जमा करना है, यह सब सारी जानकारियां ले ले और फिर जो है कि उसका क्रेडिट कार्ड ले.
और यह भी सुनिश्चित करें कि जिससे आप क्रेडिट कार्ड ले रहे हैं क्या उसका मोबाइल ऐप है या नहीं है या डायरेक्ट वह बैंक के द्वारा कंट्रोल होती है इस तरह की पूरी जानकारी आप ले ले उसके बाद ही आप क्रेडिट कार्ड ले।
तो दोस्तों यह थी जानकारी की (क्रेडिट कार्ड कब लेना चाहिए और कब नहीं लेना चाहिए) मुझे उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा यदि आपका कोई सवाल यह सुझाव है तो मुझे नीचे कमेंट करके बताएं और इस पोस्ट को जरूर दूसरे लोगों तक भी शेयर करें ताकि उन्हें भी मालूम पड़ सके कि क्रेडिट कार्ड हमें लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए.
बहुत-बहुत धन्यवाद
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