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Aatma Kya Hai और Mann Kya Hai ?

Aatma Kya Hai और Mann Kya Hai ?

नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे आत्मा और मन के बारे में।
जैसे -

आत्मा क्या है ?
आत्मा कैसी दिखती है ?
आत्मा का घर कहाँ है ?
आत्मा को क्या पसंद है ?

शरीर में आत्मा कहाँ रहती है ?
मनुष्य आत्मा कितनी जन्म लेती है ?
आत्मा में कितनी शक्तियां है ?

मन  क्या है ?
मन का काम क्या है ?
मन को  क्या पसंद है ?
मन को एकाग्र कैसे करते हैं ?
क्या मन और आत्मा एक ही है ?

और भी बोहोत कुछ आत्मा और मन के बारे में।

aatma kya hai mann kya hai
aatma kya hai mann kya hai
.
आत्मा क्या है ?

शरीर अलग है और आत्मा अलग है। शरीर मांस-पेसियों से बनता है वहीँ आत्मा अजर अमर है , यानि कभी बनता ही नहीं है और ना ही कभी ख़त्म होता है। वहीँ शरीर बनता भी है और ख़त्म भी होता है।

आत्मा एक चैतन्य शक्ति है। एक ऊर्जा है। जिस तरह मोबाइल में battery एक ऊर्जा है वैसे ही शरीर में आत्मा एक ऊर्जा है। आत्मा के ऊर्जा से ही शरीर चलता है।

आत्मा शरीर को चलाने वाली है , जिस तरह गाडी को चलाने के लिए driver की जरूरत होती है वैसे ही यह शरीर (गाड़ी ) को चलाने के लिए आत्मा (driver ) की जरूरत होती है।
जैसे -
आत्मा कहती है शरीर को कि school जाव तो शरीर school जाता है।
आत्मा कहती है शरीर को कि पढ़ाई करो तो शरीर पढता है।
बिना आत्मा के आदेश के शरीर कुछ नहीं कर सकता है।


आत्मा कैसी दिखती है ?

आत्मा बोहोत छोटी प्रकाशित बिंदु जैसी है।(bright light point )

aatma kaisa dikhta hai.

हम आत्मा को अपने आँखों से नहीं देख पाते , लेकिन अनुभव करते हैं कि हमारे अंदर आत्मा है।

जैसे छोटे -छोटे कीटाणु को हम अपने आँखों से नहीं देख पाते लेकिन जब microscope से देखते हैं तो दिख जाते हैं।

वैसे ही हम आत्मा को अपने आँखों से नहीं देख पाते सिर्फ अनुभव करते हैं लेकिन ज्ञान की आँखों से हम उसे देख सकते हैं। कहने का मतलब है कि जब हम आत्मा के बारे में पूरी जानकारी जान जायेंगे तो हमें उसकी अनुभूति और अधिक होने लगेगी , दूसरों को भी हम आत्मा की तरह ही देखने लगेंगे।

आत्मा का घर कहाँ है ?

आत्मा का घर परमधाम है। जिसे अंग्रेज soul world , मुसलमान अर्श कहते हैं।
आकाश तत्व से परे आत्माओं का घर है , जहां सभी आत्माएं रहती है। वहीँ से आत्माएं इस धरती पर आकर शरीर के द्वारा अपना part निभाती है या कहें अपना जीवन जीती है।

आत्मा के घर के बारे में और तीनो लोकों के बारे में मैंने नीचे के post में विस्तार से बताया है आप पढ़ सकते हैं :-


Aatma को Kya Pasand Hai ?

आत्मा को शांति और पवित्रता पसंद है।

हरेक आत्मा पहले शांति चाहती है , जिस तरह कोई बुखार से बीमार हो और उसे लडू -मिठाई खाने को दीजिये तो क्या वह खाना पसंद करेगा ?
नहीं पसंद करेगा , पहले वह बुखार से ठीक होना चाहेगा फिर मिठाई इत्यादि खायेगा।

वैसे ही अनेक तरह के सुखों को पाने से पहले आत्मा शांति चाहती है , उसे कोई परेशान ना करे।   ना शरीर की बीमारी ,ना मन की बीमारी और ना ही पैसों की बीमारी (कमी )।

शांति से बाद आत्मा को पवित्रता पसंद है - तन से भी पवित्र और मन से भी पवित्र।
ऐसा इसलिए क्यूंकि जब आत्मा अपवित्र बनती है तो आत्मा की शक्ति कम होते जाती है। जिसके साथ-साथ शरीर को भी कमजोरी महसूस होने लगती है।

अपवित्र बनना यानि विकार में जाना , भ्रस्ट इन्द्रियों का आचरण करना।
 आत्मा तो चाहती है कि वह अतीन्द्रिय सुख भोगे ,मन बुद्धि का सुख भोगे। जिससे आत्मा powerful बने और शरीर भी powerful बने।

मन बुद्धि के सुख के बारे में अधिक जानने के लिए आप ये post पढ़े :-



शरीर में Aatma कहाँ रहती है ?

आत्मा शरीर का राजा है , जिसतरह राजा का सिंघासन सबसे ऊपर होता है वैसे ही आत्मा भी  शरीर के सभी इन्द्रियों के ऊपर रहती है , जिसे उत्तमांग कहते हैं।

आँख के ऊपर दोनों भोरों के बिच में , जहां सभी बिंदी और टिका लगाते हैं।

sharir me aatma kaha rahta hai.


दरहसल भगवतगीता में है कि भोरों के मध्य में प्राण रुपी आत्मा निवास करती है उसपर टिकने से मनुष्य श्रेष्ठ गति को प्राप्त करता है तो लोग टिका और बिंदी लगाना शुरू कर दिए।

असल में आत्मा जो बिंदी की तरह है उसे उस स्थान में समझते रहने की बात है , जिससे की आत्मा की चेतना जाग सके और हम अतीन्द्रिय सुख प्राप्त कर सके।


मनुष्य आत्मा कितनी जन्म लेती है ?

सबसे पहले आप ये समझिये कि मनुष्य आत्मा केवल मनुष्य में ही जन्म लेती है और पशु पक्षी इत्यादि जीवों में जन्म नहीं लेती है।
जिस तरह आम का बीज रोपने से उसपर आम ही फल होंगे।
वैसे ही आत्मा एक बीज है , और वह बीज जिस जीव की होगी वह उसी जीव में हमेशा जन्म लेगी।

 गाय की बीज होगी और चीटी  में जन्म लेगी तो अपने पिछले जन्मों का हिसाब-किताब कैसे चुक्तु करेगी।
तो अन्य जीवों में जन्म लेना ये प्रकृति के विरुद्ध हो जाता है।

अब बात करते हैं मनुष्य आत्मा कितने जन्म लेती है ? 

मनुष्य आत्मा ज्यादा से ज्यादा 84 जन्म लेती है। और कम से कम 1 जन्म लेती है।
जो इस सृष्टि में परमधाम से पहले आती है वो ज्यादा जन्म लेती है और जो बाद में आती है वो कम जन्म लेती है।

शास्त्रों के अनुसार - शास्त्रों में 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म मिलता है ऐसा कहा जाता है।

लेकिन यदि आत्मा 84 लाख जन्म लेगी तो कभी अपने जन्मो को जान ही नहीं पायेगी।
Proof - इसका proof भी है , दुनिया में ऐसे भी लोग हुवे हैं जिनको अपने पिछले जन्म की याददास्त आई है और वह सच भी साबित हुयी है और उनमे से किसी ने ये नहीं बताया की मैं पिछले जन्म में कुत्ता था या बेल था।
सभी ने बताया कि मैं पिछले जन्म में मनुष्य ही था।

इसकी अधिक जानकारी के लिए आप ये post पढ़े।




आत्मा में कितनी शक्तियां है ?

आत्मा में 3 शक्तियां है।

मन , बुद्धि और संस्कार।

मन - मन का काम है सोचना।
बुद्धि - बुद्धि का काम है निर्णय (decision ) लेना।
संस्कार - गुणों को धारण करना।

तो हरेक आत्मा में ये 3 शक्तियां होती है। जिसे हरेक आत्मा अपने अनुसार इस्तेमाल करती है।

मन क्या है ?

मन एक आत्मा की शक्ति है। जिसका काम है सोचना और इन्द्रियों को चलाना।
मन हरेक second कुछ ना कुछ सोचता ही रहता है। जब आप सोते हैं तब भी मन कुछ ना कुछ सोचता है जिसे हम स्वप्न कहते हैं।

हरेक दिन एक मनुष्य का मन हज़ारों चीजें सोचता है , और मन जितने अधिक चीजों के बारे में सोचता है उतना ही ज्यादा अशांत होता है।

वहीँ मन का दूसरा काम है इन्द्रियों को चलाना।
हम अकसर कहते हैं , आज मन हो रहा है गोलगप्पे खाने का ,आज मन हो रहा है cinema देखना का ,आज मन हो रहा है घूमने का।

तो इन्द्रियों से जितनी भी सुख भोगने की चाहत होती है वह सब मन की होती है। मन ही इन्द्रियों की सुख में मनुष्य को फसाये रखता है जिससे की मनुष्य कभी आत्मा का सुख नहीं प्राप्त कर पाता।

तो ये थी जानकारी मन के बारे में और उसके काम के बारे में।

मन को क्या पसंद है ?

जैसा की मैंने बताया कि मन इन्द्रियों से सुख भोगता है , उसमे भी मन श्रेष्ठ इन्द्रियों के सुख को ज्यादा भोगने की कोशिश करता है।
जैसे - अच्छे-अच्छे दृश्य देखना , अच्छे जगह में घूमना।
सुन्दर खुसबू , मधुर गीत , उत्तम भोजन ये सभी मन को लुभाती है।

बाकि भ्रस्ट इन्द्रियों के सुख को मन तब भोगना पसंद करता है जब मन अधिक चंचल हो जाता है।
चंचलता के कारन ही मन का पतन होता है , जिससे की वह अशांत हो जाता है फिर उसका किसी भी कार्य में ध्यान नहीं लगता है।

जब मन श्रेष्ठ इन्द्रियों (आँख ,कान मुख इत्यादि ) का सुख भोगता है तो उसे सुख अनुभव होता है।
वहीँ जब भ्रस्ट इन्द्रियों (मल -मूत्र इन्द्रियां ) का सुख भोगता है तो उसे दुःख महसूस होता है।

मन को एकाग्र कैसे करते हैं। 

जैसा की मैंने बताया कि मन की चंचलता के कारन ही मन अशांत हो जाता है और फिर उसे किसी भी कार्य में दिल नहीं लगता है।
ऐसी परिस्थिति में मन बुरे संकल्प सोचने लगता है और फिर शरीर द्वारा बुरा करना चाहता है।

तो ऐसे समय मन अपने आप कुछ नहीं कर सकती। जो मन का स्वामी है आत्मा, उसे ही मन को समझाना होता है , बुद्धि मन तो सही राह दिखाती है और मन को सही राह में चलने को कहती है।
फिर जब मन को सही और गलत का ज्ञान हो जाता है तो फिर वह अच्छे संकल्प करने लगती है और फिर मन शांत हो जाता है।

इसीलिए मन को एकाग्र करने के लिए सही और गलत का ज्ञान होना जरूरी है।
उसमे भी आत्मा का ज्ञान होना जरूरी है।

फिर बाद में ध्यान द्वारा अच्छे संकल्प ला सकते हैं , लेकिन पहले ज्ञान की जरूरत है।


क्या मन और आत्मा एक ही हैं ?

अब तक के post से आप समझ ही गए होंगे कि मन अलग है और आत्मा अलग है।
मन आत्मा की ही एक शक्ति है जो सोचती है और शरीर के इन्द्रियों को चलाती है।

वहीँ आत्मा मन का स्वामी है। मन को सही राह दिखाना यह आत्मा का काम है।

तो मेरे भाइयों ये थी जानकारी आत्मा और मन के बारे में। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये। 
अधिक सहायता के लिए मुझसे बात करें - 9931472457 


और इसे जरूर और लोगों तक share करें ताकि ये ज्ञान सबतक पहुँच सके।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद।

Manushya Jeevan Ka Lakshya Kya Hai

Manushya Jeevan Ka Lakshya Kya Hai


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जिनेंगे कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है ? हम धरती पर किस लिए जन्म लिए है ,हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? हमें किस तरह का जीवन जीना चाहिए और भी बोहोत कुछ मनुष्य जीवन के लक्ष्य के बारे में।

जैसे-
मन और बुद्धि की उच्चतम अवस्था/ सुख कौन सा है ?
अतीन्द्रिय सुख , रूहानी नशा क्या है ?
मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्राप्त होने पर कैसी-कैसी शक्तियां प्राप्त होगी।
भगवतगीता के अनुसार -मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है ?
उदाहरण -जिन्होंने मनुष्य जीवन का लक्ष्य पूरा किया ?

तो इस post में आगे बने रहिये और जानते रहिये मनुष्य जीवन के लक्ष्य के बारे में।

manushya jeevan ka lakshya kya hai
manushya jeevan ka lakshya kya hai
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मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है ?

मनुष्य जीवन के बारे में हम सभी जानते हैं क्यूंकि हम सभी मनुष्य है। मनुष्य उसे कहते हैं जिसमे मन और बुद्धि होती है। जिसमे मन और बुद्धि नहीं है तो वो मनुष्य भी नहीं है , वह पशु के समान है।

यही मन और बुद्धि की उच्चतम अवस्था ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य है।

जैसे - किसी व्यक्ति का डॉक्टर बनने का लक्ष्य है , और वह पढ़ाई करके डॉक्टर बन जाता है। और फिर डॉक्टर का काम करता है। अपने जीवन में ढेरों मरीजों का इलाज करता है , फिर उसका नाम होता है , पैसे कमाता है ,दुनिया उसको सम्मान देती है और फिर एक दिन वह दुनिया से चला जाता है।

तो मैं आपसे पूछता हूँ , कि क्या इसे मनुष्य जीवन का लक्ष्य कहेंगे ?

आपका जवाब होगा नहीं। इसे मनुष्य जीवन का लक्ष्य नहीं कहेंगे क्यूंकि उन्होंने जो डॉक्टर की पढ़ाई पढ़ी वो पढ़ाई उसके शरीर से सम्बंधित थी , जो पैसे उन्होंने कमाए वो उसके शरीर में खर्च हुवे ,जो मान मर्तबा उसको मिला वो उसके शरीर को मिला। उस पढ़ाई से उसके मन का कोई भी विकाश नहीं हो रहा था।

तो क्या scientists को कहें क्यूंकि वे अपने पुरे मन और बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं।
उन्हें भी मनुष्य जीवन का लक्ष्य नहीं कह सकते हैं।

आसान भाषा में समझिये ,

मन और बुद्धि की उच्चतम अवस्था/ सुख कौन सा है ?

ऐसी अवस्था जब आपको अपने मन और बुद्धि का सुख अनुभव हो रहा हो।
ऐसी अवस्था जब आपको किसी व्यक्ति पर ,किसी वस्तु पर , किसी कार्य पर , अपने सुख के लिए आधीन ना रहना पड़े।

इसे अतीन्द्रिय सुख कहते हैं , जो इन्द्रियों से परे का सुख है। इसमें मन और बुद्धि अपने शरीर के सुख से ऊपर पहुँच जाती है और मन का सुख अनुभव करती है।

इस अवस्था में मनुष्य देवता के समान बन जाता है ,उसके अंदर के 5 विकार (काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार ) ख़त्म हो जाते हैं। उसे 24 घंटे रूहानी नशा अनुभव होता है , ऐसा लगता है कि जैसे हमेशा मन और बुद्धि से ऊर्जा निकल रही हो और उसके दिल में समा रही हो।

(जैसे आजकल के लोगों को पैसे का नशा होता है ,पढ़ने का नशा होता है , खेलने का नशा होता है इत्यादि अनेक नशा होते हैं जिसमे लोग डूबे रहते हैं )

वैसे ही यह है रूहानी नशा , यह नशा सबसे बड़ा नशा होता है जिसमे रूहानियत से पूरा शरीर तेज़वान हो जाता है। लोग स्वतः ही उनके तरफ आकर्षित होने लगते हैं , ऐसे लोग अपना सभी कार्य योगबल से करते हैं।

यह अतीन्द्रिय सुख या रूहानी नशा कब अनुभव होता है ? इसके लिए आगे के post को पढ़ते रहे.....

मनुष्य जीवन का लक्ष्य - अतीन्द्रिय सुख , रूहानी नशा।

मनुष्य से देवता किये करत ना लागी वार।
 मनुष्य जीवन के उच्चतम लक्ष्य को पाने के लिए आपको शरीर से कोई भी मेहनत नहीं करनी है। यह मन और बुद्धि की बात है , अपने अंदर के भावना को जगाने की बात है , सबके प्रति कल्याण का भाव , दुवा का भाव उजागर करने की बात है।

अतीन्द्रिय सुख तभी महसूस होगी , जब आप अपने शरीर को भूल जायेंगे और अपने को आत्मा (रूह ) समझने लगेंगे। जब आत्मा की चेतना जागेगी तो स्वयं आत्मा अपने शक्तियों से पुरे शरीर को कंचन -काया ( जिसे कुछ न हो ) बना देगी।

तो आपको इसके लिए स्वयं को आत्मा समझने की कोशिश करनी है , शरीर को भूलकर , बिंदु आत्मा (जैसे आकाश में stars होते हैं ) वैसे ही अपने को आत्मा समझना है। इससे आत्मा अपने स्वरुप को पहचानेगी और उसकी चेतना जागेगी और उन्हें रूहानी नशा का अनुभव होगा।

aatmik sthiti.



यह अभ्यास करते-करते जब आत्मा की पूरी चेतना जाग जाएगी या कहें वह पूरा ही आत्मा अभिमानी हो जायेगा तो फिर उसको कहेंगे कि उनका मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्राप्त हुवा।
लेकिन इसका अभ्यास केवल बैठ करके नहीं करना है बल्कि जीवन के हर कार्य को करते हुवे अपने को आत्मा समझ करके करना है .

ये भी जाने :-


मनुष्य जीवन का लक्ष्य प्राप्त होने पर कैसी-कैसी शक्तियां प्राप्त होगी।

सबसे पहली शक्ति जो प्राप्त होगी  , वह अपने मन के संकल्पों को नियंत्रण कर पायेगा।
मन के संकल्पों के ऊपर नियंत्रण होने से उसकी बुद्धि की विशालता बोहोत बढ़ जाएगी। जिससे की वह दूसरे आत्माओं के vibration को पकड़ पायेगा।
बुद्धि की ऐसी विशालता हो जाएगी कि दूर बैठे किसी व्यक्ति से कार्य कराना चाहे तो वह करा पायेगा।

वह जहां भी जायेगा तो उसकी रूहानी पावर से वहाँ  की भुखमरी ,आकाल ,रोग ख़त्म हो जायेंगे या कहें कि वह प्रकृति को कण्ट्रोल करने वाला बन जायेगा।
वह मनुष्य के रूप में देवता बन जायेगा , जैसे देवतायें आत्मा अभिमानी और प्रकृतिजीत होते हैं तो वो भी बन जायेगा।
और यही है मनुष्य जीवन का लक्ष्य।

भगवतगीता के अनुसार -मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है ?

जब अर्जुन , भगवान से पूछता है कि है भगवन आप मुझे मेरा मार्ग बताइये कि मैं क्यों इस धरती में जन्म लिया हूँ ?
तब भगवन उनको बताते हैं कि है नर अर्जुन , तू ऐसा कर्म कर कि नर से नारायण बन जा और है नारी द्रोपदी तू ऐसी करनी कर कि नारी से लक्ष्मी बन जा।

तो भगवतगीता के अनुसार , भगवन अर्जुन को नारायण के समान 16 कला सम्पूर्ण बनने को कह रहे हैं।
सिर्फ देवता नहीं , बल्कि देवताओं में जो सबसे उत्तम देवता नारायण जिसकी शास्त्रों में कोई ग्लानि नहीं है और (33 करोड़ सभी देवताओं की ग्लानि है लेकिन नारायण की कोई ग्लानि नहीं है )

तो ऐसा ही देवता बनना यह भगवन अर्जुन को बनने के लिए कहते हैं।

अर्जुन - यहां पर अर्जुन कोई एक नहीं है बल्कि अर्जुन उसे कहते हैं तो रूहानी ज्ञान का अर्जन करते हैं।
तो यह भगवतगीता का ज्ञान सभी रूहानी लोगों के लिए है , इससे कोई भी मनुष्य देवता बन सकता है।

उदाहरण -जिन्होंने मनुष्य जीवन का लक्ष्य पूरा किया ?

आज हम 33 करोड़ देवताओं के बारे में जानते हैं जो मनुष्य से देवता बने हैं। तो कभी तो बने होंगे , किसी ने तो उन्हें बनाया होगा।
कब बनाया होगा ? और कैसे बनाया होगा ये मैं आपको अपने  अगले post में बताऊंगा कि
मनुष्य से देवता कैसे बने ?


तो दोस्तों आज के लिए इतना ही मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
आप इस जानकारी को अपने दोस्तों तक facebook ,watsapp में  share करें।

अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत -बोहोत धन्यवाद।

HTML Kya Hai? HTML Ki Puri Jankari Hindi Me

HTML Kya Hai? HTML Ki Puri Jankari Hindi Me

नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे HTML के बारे में।
  • HTML क्या है ?
  • HTML का full form क्या होता है ?
  • HTML में Tags क्या होते हैं ? Example of tags
  • HTML में Elements और Attributes क्या होते हैं ?
  • HTML में किन-किन software द्वारा web pages बना सकते हैं ?
  • HTML में web pages कैसे बनाते हैं ?

html ki jankari hindi me
html ki jankari hindi me
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HTML Ka Full Form Kya Hota Hai?

HyperText Markup Language (HTML)

HTML Kya Hai?

इसके full form से आप समझ गए होंगे कि HTML एक भाषा है जिसे web pages बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

Example :- जब भी internet आप चलाते हैं , चाहे facebook या google, तो उनमे जो जानकारी दी जाती है वह page में दी जाती है और उस page की बनावट HTML के द्वारा होती है।

Web pages को बनाने के लिए HTML "Tags " का इस्तेमाल करती है। इन tags की मदद से कोई भी व्यक्ति web pages बना सकता है। और उसे internet में upload कर सकता है , और ऐसे ही websites बनते हैं।

HTML में मुख्य 3 चीजों को जानना है :-
Tags , Attributes और Elements


HTML Me Tags Kya Hote Hai?

Tags को instruction या codes कह सकते हैं। Web Browser ( Chrome ) इन्हीं codes के द्वारा web pages को screen में show करती है।

Example of Tags :-

<i >                italic            </i >
opening tag  content   closing tag

Result : Italic 

<html >......... </html> 
[हरेक web page के सुरुवात में <html > और अंत में </html > का प्रयोग होता है। इन दोनों tags के बिच में ही अन्य tags का काम होता है।  ]

<head>...........</head> 
[   इसमें web page का heading दिया जाता है। इसे page header भी कहते हैं। ]

<title >........ ..</title >
[ यह web pages  के title देने में प्रयोग होता है। यह <head> ..... </head > के अंदर प्रयोग होता है। ]

<body>..........</body>  
[ इस tag के अंदर सभी documents तैयार होते है , या कहें सभी कार्य होते हैं। ]

<p>.........</p>
[नया paragraph बनाने में प्रयोग होता है। ]

<b>........</b>
[ text को bold करने के काम में प्रयोग होता है। ]

<u>........</u>
[ underline देने में प्रयोग होता है। ]

<hr>.......</hr>
[ सीधी line देने में काम आता है ]

<br>
[ linebreak , एक लाइन की दुरी बढ़ाने में प्रयोग होता है। ]

<centre>...........</centre>
[ text को center में लाने में प्रयोग होता है ]

<table>............</table>
[ Webpage में table बनाने में प्रयोग होता है। जिसमे row <td >... </td>  द्वारा और column <tr >.... </tr>   द्वारा बनाये जाते हैं। ]

<style>...........</style>
[ Links या style sheet बनाने में प्रयोग होता है। ]

<img scr = "........." >
[Image add करने में प्रयोग होता है। ]

हरेक Tags का अपना-अपना काम होता है जिसे bracket के द्वारा बताया गया है , यह tags, web pages बनाने में काम आती हैं।


HTML Me Attributes aur Elements Kya Hote Hai ?

Attributes:-
यह ऊपर दिए Tags में ही काम आते हैं। जब tags के style में  size ,shape, colour इत्यादि को change करना हो या जोड़ना हो तब इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

Attributes को opening tag में ही दिया जाता है। 

जैसे ;- 
<hr width = "500 " >
यहां पर width को 500 px करने के कहा जा रहा है। 

<hr color = "red " >
यहां पर लाल रंग add करने को कहा जा रहा है , और ऐसे ही attributes का इस्तेमाल होता है। 

Elements :- 

जब  Opening Tag , Content और Closing Tag  तीनों आपस में हो तो उन्हें Elements कहते हैं। Element के अंदर ही Attributes आते हैं।  

जैसे :- 

<i >                italic            </i >
opening tag  content   closing tag
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
                 Element 

Result : Italic 

Example with attributes :-

<i color = " red ">       italic      </i >
Result : Italic 

HTML Se Web Pages Kis Software Se Banaye

HTML द्वारा web pages बनाने के लिए आप Notepad (windows ) का इस्तेमाल कर सकते हैं। या फिर किसी अन्य text editor का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

आजकल लोग HTML द्वारा web pages बनाने के लिए GUI का इस्तेमाल करते हैं। 
ये GUI Editors, automatically HTML codes को generate करती है जिससे की लोग आसानी से web pages बना लेते हैं जिससे codes के ऊपर ध्यान नहीं देना पड़ता है। 

Ex GUI :- Microsoft's  Front Page , Adobe 's  Dream Weaver 

लेकिन मैं आपको सलाह दूंगा कि पहले आप Notepad में इन codes के द्वारा web pages बनाये फिर बाद में GUI का इस्तेमाल करें। 
इससे बाद में जब कहीं दिक्कत आएगी तो आसानी से आप उसे solve कर पाएंगे। 





HTML Dwara Web Pages Kaise Banaye

यहां पर उदाहरण के द्वारा बताया गया है कि कैसे HTML के द्वारा web pages बनाया जाता है। 

Step 1 :- Notepad पर जाये और नीचे दिए गए codes को type करें। 

Step 2 :- 

<html >
<head>
<title> My first html web page </title>
</head>
<body>
My world
</body>
</html>

Step 3 :-

इसे save करें। save करते समय end में .html से save करें। 
जैसे myfirstpage.html 
इसी तरह pages को save करें। 

Step 4:- 

फिर इसे open करें , जहां save किये थे वहाँ से। 
Result कुछ इस तरह show होगा।

html webpage
html webpage
.
इसी तरह आप html की मदद  से अपना web pages बना सकते हैं जिसमें आप images ,audio , video ,tables ,background इत्यादि जैसे चीजें भी add कर सकते हैं। 

Note :- 
यह post html के basic knowledge के लिए है , इसकी अधिक जानकारी के लिए दिए गए websites पर जाकर सिख सकते हैं। 




तो दोस्तों यह थी html के बारे में जानकारी। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये। 

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अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद। 
HTTP Kya Hai? HTTP Ki Puri Jankari

HTTP Kya Hai? HTTP Ki Puri Jankari


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे कि http क्या होता है ? इसका क्या काम होता है ? http  का इस्तेमाल हम कैसे करते हैं ? Internet में http का क्या काम होता है ? http कैसे webpages को transfer करता है ? और भी अन्य जानकारियां http के बारे में।

यह सभी जानकारियां बोहोत ही सरल हिंदी भाषा में बताया गया है इसीलिए आपको समझने में जरा सी भी मुस्किल नहीं होगी।

http kya hai
http kya hai
.
 HTTP का full form क्या होता है ?

HyperText Transfer Protocol 

HTTP का क्या काम होता है ?

इसके full form से ही पता चल जाता है कि यह Protocol को transfer करता है। 
Protocol :- इसका अर्थ होता है नियम। http का यह protocol, code के रूप में होता है , जिसे की http पहचानता है कि यह सही code है या नहीं फिर उसे transfer करता है। 

Example of Protocol :- ऐसा protocol जो web के लिए काम में आता हो ,या जिसे web के लिए बनाया गया हो। 
जैसे - TCP/IP , HTTP ,SMTP, DNS

HTTP और Internet (World Wide Web ) में क्या सम्बन्ध है ?

आप Internet तो चलाते ही होंगे , उसमे जो pages होते हैं ,चाहे facebook का page हो या google का , वह http based pages होते हैं। 

Internet से सम्बन्ध-
Internet दरहसल web pages का भंडार है ,जो की दुनियाभर में दूसरे -दूसरे computer server में store है। कहीं text के रूप में तो कहीं audio -video के रूप में। 

HTTP का मुख्य मकसद है इन्हीं webpages को एक computer (server ) से दूसरे computer (client ) में transfer करना। 

Ex :- जैसे हमारे दुनिया में अलग -अलग सामानों के लिए अलग-अलग दुकानें हैं ,books के लिए book store ,sweets के लिए sweet store . वैसे ही Internet में सारी चीजें है। HTTP क्या करता है ,जिस चीज की हमें जरूरत होती है ,वह पहले देखता है कि यह किस दुकान (server ) में है ,और फिर उसे ढूंढकर हमारे पास (client ) के पास लाता है। 

और इस प्रकार http और internet में सम्बन्ध है। 

HTTP  कौन से  web pages को transfer कर सकता है ?

ऐसा web page जिसमें link हो जिसे (hypertext ) कहते हैं। 
HTTP बोहोत variety के web pages transfer कर सकता है , जिसमे text ,images ,audio ,video web pages सामिल है। 

HTTP का इस्तेमाल हम कैसे करते हैं ?

हम यानि ग्राहक client ,हम web browser की मदद से http का इस्तेमाल करते हैं। 
web browser ही दरहसल web client यानि ग्राहक है। वही web server यानि दूकान से हमारे लिए चीजें ढूंढकर लाती है। 

Web browser http protocol का इस्तेमाल करती है ,जिससे की हम web server से चीजें ला पाते हैं। 
यानि दोनों , web browser और web server same http protocol (नियम ) का इस्तेमाल करती है। तभी लेन-देन हो पाता है। 

Web browser जैसे - Chrome ,Mozilla Firefox इत्यादि। 

Example :-मान लीजिये कि हमें खीर बनाना नहीं आता और हमें उसकी recipe चाहिए तो हम सबसे पहले Google Chrome खोलते हैं ,उसमे type करते हैं -खीर बनाने की रेसिपी , और फिर पेज open होता है जिसमें कई सारे links आ जाते हैं खीर बनाने के ऊपर। 

तो हम जो लिखें chrome में वह http में change हो गया , और फिर http अपने server में ढूंढकर हमें result दे दिया। और इस प्रकार हम http का इस्तेमाल करते हैं। 

Note :- जिस तरह ग्राहक अनेक और दूकान कम होते हैं ,वैसे ही web client (chrome ) हरेक के मोबाइल में होता है और web server (website) बोहोत कम होते हैं। 

Web Client =Web Browser =ग्राहक 
Web Server =Web Site =दूकान।


तो दोस्तों यह थी जानकारी HTTP के बारे में कि कैसे http काम करती है और हम कैसे इसकी मदद से घर बैठे फायदा उठा पाते हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। 

यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये। इस post को अपने दोस्तों में share करें , इसे watsapp ,facebook में भी share करें। 

अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद। 

Shivratri Kyu Manaya Jata Hai-महत्व और सिख

Shivratri Kyu Manaya Jata Hai-महत्व और सिख


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे कि शिवरात्रि कब और क्यों मनाया जाता है ? शिवरात्रि का मतलब क्या होता है ? शिव -रात्रि में ही क्यों आते हैं ? शिवरात्रि में क्या-क्या शिव को चढ़ाते है और क्यों ? शिवरात्रि का हमारे जीवन में क्या महत्व है ? शिवरात्रि से हमें क्या सिख मिलती है ? और अंत में हम ये भी जानेंगे कि शिवरात्रि में हम क्या करें जिससे हमें अधिक प्राप्ति हो।

तो इस post को अंत तक पढ़े आपको बोहोत कुछ नया जानने को मिलेगा।

शिवरात्रि कब मनाया जाता है?

शिवरात्रि हरेक साल फाल्गुन महीने में -हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल के अंतिम महीने में (Feb -Mar ) कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है। पूर्णिमा और अमावश्या के बिच के समय को कृष्ण पक्ष कहा जाता है जिसकी शुरुवात पूर्णिमा के अगले दिन से होती है।

शिवरात्रि में क्या-क्या शिवलिंग को चढ़ाते हैं और क्यों ?

शिवरात्रि में हम शिवलिंग को गांजा -भांग -धतूरा -अकवंद जैसी समाज की नशीली चीजें चढ़ाते हैं। इसका मतलब लोगों में जितनी भी बुरी आदतें हैं उनको भगवान को दे देना और समाज के लोगों को निरोगी रखना है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव सभी के पाप कर्म को हर लेते हैं इसकी यादगार में समुद्र मंथन में शिव को विश्व कल्याण के लिए विष पीते भी दिखाते हैं।

यदि कोई सच्चे मन से भक्तिभाव से अपनी बुरी आदतों को भगवान को अर्पण करता है तो वे उनके बुरी आदतों को खुद ले लेते हैं और उन्हें सुख शांति प्रदान करते हैं।

शिवरात्रि में हम दूध ,गंगा जल ,बेलपत्ता भी चढ़ाते हैं जो समाज के उन्नति बनाये रखने और जीवन को सुखमय जीने पर चढ़ाते हैं।

shivratri kyu manaya jata hai
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शिवरात्रि का मतलब क्या होता है?

शिवरात्रि कहें या शिवजयंती कहें दोनों बातें एक ही है। जिस तरह लोग अपना जन्मदिवस मनाते हैं वैसे ही भगवान शिव की इस कलियुग रुपी रात्रि में दिव्य जन्म लेने को ही शिवरात्रि कहा जाता है।

लोग अपना जन्मदिन मनाते हैं लेकिन भगवान शिव अपना जन्मरात्रि क्यों मनाते हैं ?

ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव रात्रि में जन्म लेते हैं। कोई हद के रात्रि में नहीं बल्कि अज्ञान अन्धकार रुपी रात्रि में आते हैं। जब सभी भगवान को भूल जाते हैं और 5 विकारों रुपी दलदल में फँस जाते हैं।

हरेक लोगों में 5 विकार :- काम -क्रोध -लोभ -मोह -अहंकार ये 5 विकार पूरी तरह बढ़ जाती है , लोगों में कोई गुण नहीं रहते अथवा लोग कलाहीन हो जाते हैं। तब ऐसी अंधकार रुपी रात्रि में भगवान शिव अवतरित होते हैं इसलिए उनके जन्म को शिवरात्रि कहा जाता है।

शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है?

शिव रात्रि में आया किसी ने देखा ? नहीं देखा। तो फिर पता कैसे पड़ता है कि भगवान शिव इस कलियुग रुपी रात्रि में आया ?
जरूर किसी में तो प्रवेश करेगा क्योंकि भगवान शिव तो है निराकार। उनका अपना कोई शरीर नहीं।

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गीता में भी बोला है प्रवेष्टुं :- तो वो भगवान शिव ऊंच ते ऊंच है तो जरूर ऊंच ते ऊंच में प्रवेश करेगा।
जानवर में तो प्रवेश नहीं करेंगे। जानवर में प्रवेश करेंगे तो ज्ञान कैसे सुनाएंगे , तो किसमें आया ?
गाया भी जाता है भागीरथ -वो भाग्यशाली रथ में ही प्रवेश किया , तो जरूर रथ मनुष्य का होगा ना।

परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मा में प्रवेश करके नई दुनिया की स्थापना का कार्य करते हैं इसलिए कहा जाता है ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि की स्थापना।

जब सभी धर्मपिता अपना-अपना कार्य करके चले जाते हैं फिर भी यह सृष्टि नहीं सुधरती तब परमपिता को ही इस सृष्टि पर आना पड़ता है। जिसे सभी धर्म वाले मानते हैं :- कोई उसे खुदा कहता है ,तो कोई Godfather ,कोई उसे सद्गुरु कहता है तो कोई शिव भगवान।

भगवान आएगा तो जरूर पुरानी सृष्टि को नया बनाएगा और भगवान शिव के सिवाय कोई भी धर्मपिता या मनुष्य इस पुरानी सृष्टि को नई सृष्टि नहीं बना सकता। पुरानी सृष्टि को नया बनाना ये भगवान का ही काम है।

तो इसलिए भगवान पुरानी सृष्टि कलियुग का विनाश कर देते हैं। विनाश करेंगे तो किसके द्वारा करेंगे -जिसके नाम में ही बम-बम है। हर-हर बम-बम। शंकर। तो शिव , शंकर द्वारा विनाश का कार्य करते हैं।

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शिवरात्रि का महत्व क्या है?

इस शिवरात्रि के समय की बोहोत भारी महत्व है। यह वह समय है जब हम भगवान शिव से प्राप्ति कर सकते हैं। इस समय यदि कोई चाहे तो पुरे 84 जन्मों के लिए सुख और शांति का वर्षा प्राप्त कर सकता है।

इस समय शिवबाबा को याद करने से आत्मा के 5 विकार ख़त्म हो  जाते हैं और आत्मा पावन बन जाती है। आत्मा में जो पिछले जन्मों का पाप कर्म है वो भी कट जाता है।

इस समय को हीरे तुल्य कहा गया है - इस समय भगवान साकार में आकर मिलते हैं। सतयुग की इतनी महिमा नहीं है जितनी महिमा इस शिवरात्रि के समय की है।

इसे ज्ञानी लोग :- संगमयुग के नाम से जानते हैं।
यानि कलियुग और सतयुग के मिलने का समय। इसी समय की सारी महिमा है। इसी समय कोई चाहे तो मनुष्य से देवता पद प्राप्त कर सकता है।

इसी शिवरात्रि के समय भगवान शिव ,भक्ति का फल "ज्ञान " अपने भक्तों को देने आते हैं। जिस ज्ञान से वे भगवान को पहचान पाते हैं।
और इस प्रकार यह शिवरात्रि का समय बहुमूल्य और हीरेतुल्य है।

शिवरात्रि से क्या सिख मिलती है?

शिवरात्रि से हमें यह सिख मिलती है कि अज्ञान अंधकार के बाद ज्ञान सोझरा जरूर होता है। अज्ञानता और पाप  की जब अति हो जाती है तो उसका अंत भी हो जाता है।
पाप कर्म करने वालों को उसका परिणाम जरूर मिलता है और पुण्य कर्म करने वालों को उसका फल भी जरूर मिलता है।

इसीलिए जब सारी दुनिया दलदल में जा रही हो तो हमें भी दलदल में ना जाते हुवे किनारा कर लेना चाहिए और उस सत्य राह की तलाश करनी चाहिए जो हमें 5 विकारों के दलदल से बाहर निकाल सके।

तो भाइयों ये थी जानकारी शिवरात्रि के बारे में। शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है ,उसका महत्व -सिख और कुछ अन्य जानकारी। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आई होगी।


यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।

Saraswati Puja Kyu Manaya Jata Hai-महत्व और सिख

Saraswati Puja Kyu Manaya Jata Hai-महत्व और सिख


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे सरस्वती पूजा के बारे में। सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है ? इसका आध्यात्मिक रहस्य - महत्व और सिख क्या है ? सरस्वती का मतलब क्या होता है ? सरस्वती देवी कौन है और उनकी पूजा क्यों होती है ? सरस्वती पूजा कब होती है और उसे हम कैसे मनाते हैं ? सरस्वती पूजा करने से क्या फायदा होता है ? और अंत में यह भी जानेंगे कि सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके द्वारा बताये गए रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ? तो इस post को अंत तक पढ़े और जानिये अपने सरस्वती देवी के बारे में।

saraswati puja kyu manate hai
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सरस्वती पूजा क्यों मनाया जाता है?

सरस्वती पूजा ज्ञान को बढ़ाने के लिए करते हैं। यह आंतरिक ज्ञान और सामाजिक ज्ञान दोनों को बढ़ाने के लिए किया जाता है। हरेक साल बसंत पंचमी को माघ महीने में (Jan-Feb ) में मनाया जाता है। यदि शास्त्रों के नजरिये से देखें तो ब्रह्मा के साथ सरस्वती का नाम जोड़ा जाता है। ब्रह्मा -सरस्वती। लेकिन इससे  लोग सरस्वती को ब्रह्मा की पत्नी समझ लेते हैं जबकि सरस्वती ब्रह्मा की बेटी है ना की पत्नी।

ब्रह्मा ने सृष्टि रचने के बाद , सृष्टि में ज्ञान और संगीत की जिम्मेवारी सरस्वती को सौंप दी। तब से सरस्वती देवी सृष्टि में ज्ञान को बनाये रखी है। सरस्वती ज्ञान की देवी है लोग जितना उनकी अराधना करते हैं उतना लोगों को ज्ञान प्राप्त होता है।

Q . लेकिन प्रश्न यह है कि यदि वह ज्ञान की देवी है, ज्ञान लोगों को देती है तो इस दुनिया में सभी ज्ञानी होने चाहिए कोई भी कमअक्ल वाले नहीं होने चाहिए ?

तो इसका जवाब है कि सरस्वती देवी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है , वह सभी को एकसमान ज्ञान देती है लेकिन लेने वाले ज्ञान लेने की प्रक्रिया को नहीं जानते इसीलिए वे ज्ञान को नहीं ले पाते।
सरस्वती पूजा मनाने का मकसद ही यही है कि हम सरस्वती देवी से ज्यादा से ज्यादा ज्ञान ले सके लेकिन आज के लोग उस प्रक्रिया को भूल गए हैं और अगरबत्ती जला देते हैं मंत्र पढ़ लेते हैं और समझते हैं हमपर सरस्वती देवी की कृपा हो जाएगी लेकिन ऐसा होता कुछ भी नहीं। तो वो परिक्रिया क्या है ? जानने के लिए इस post को अंत तक पढ़ते रहें।

सरस्वती पूजा का आध्यात्मिक रहस्य? 

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अंधश्रद्धा ,भक्ति करते हैं और कुछ लोग ऐसे हैं जो ज्ञान और Proof पर यकीन रखते हैं। तो आध्यात्मिकता आपको ज्ञान बताती है जिससे कि आप सरस्वती पूजा के रहस्यों को समझ पाते हैं।




समय - यदि हम भारतीय calendar को देखें तो ये साल के अंत होने से ठीक 1 महीने पहले मनाया जाता है।
इसका कारन है कि जब लोग साल भर मस्ती करते-करते ज्ञान अंधियारे में चले जाते हैं और तब ज्ञान की देवी उन्हें ज्ञान अंधियारे से ज्ञान सोझरे में लाती है।
कहने का अर्थ है कि जब मनुष्य के सभी धन ,दौलत ,कमाई ख़त्म हो जाती है तब उनका ज्ञान ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।

सरस्वती के वस्त्र - हमेशा सफ़ेद ही दिखाते हैं जो की पवित्रता को दर्शाती है।जिस तरह शरीर के वस्त्र कपडे होते हैं उसी तरह आत्मा का वस्त्र शरीर है और इस शरीर रुपी वस्त्र को पवित्र रखना है।  यानि यदि आपको सरस्वती देवी से ज्ञान चाहिए तो आपको पवित्रता को अपनाना होगा क्योंकि पवित्र बुद्धि में ज्ञान आसानी से बैठता है और इसीलिए पहले पढ़ रहे बच्चों को आश्रम में ब्राह्मण बनकर पवित्र रहकर ज्ञान लेना होता था।
(पवित्र = ब्रह्मचारी )

सरस्वती का वाहन - हंस , जिसके लिए कहा जाता है कि हंस मोती चुनते हैं यानि जो सरस्वती से ज्ञान चाहते हैं उन्हें हंस के जैसे मोती चुनना आना चाहिए। यहां मोती का मतलब है कि लोगों को ज्ञान लेते समय देखना चाहिए कि ये ज्ञान लोगों के भलाई के लिए है या बुराई के लिए।
यदि आपका ज्ञान लोगों को दुःख देता हो तो वो ज्ञान , ज्ञान नहीं श्राप बन जाता है।

सफ़ेद कमल - सरस्वती देवी को हमेशा सफ़ेद कमल के ऊपर विराजमान दिखाया जाता है। क्या आप कीचड़ में भी रहकर कमल फूल की तरह खिल सकते हैं और वो भी सफ़ेद यानि पवित्र रहकर।
कीचड़ में रहकर - यानि आपके आस -पास का वातावरण भले ही ख़राब हो , आपके दोस्त -घरवाले -रिस्तेदार भले ही ख़राब हो फिर भी आप उनके बिच में रहकर उनसे अलग बन सकते हैं और पवित्र रहकर ज्ञान लेकर संसार में खिल सकते हैं।

शास्त्र और माला - जिस तरह ब्रह्मा के हाथों में शास्त्र दिखाते हैं उसी तरह सरस्वती के हाथों में भी शास्त्र दिखाते हैं यानि बुद्धि रुपी हाथों में सदैव ज्ञान रहे। बुद्धि में ज्ञान होगा तो विचार ज्ञान युक्त होंगे , विचार ज्ञान युक्त होंगे तो कर्म automatically ज्ञान युक्त ही होंगे इसीलिए बुद्धि में  सदैव ज्ञान रखना।

माला - माला यानि संगठन। क्या आप भी अपने ज्ञान से संगठन बना सकते हैं। लोगों को अपने ज्ञान से प्रभावित कर सकते हैं उन्हें एक सच्चा इंसान बना सकते हैं उनको अपने तरफ कर सकते हैं। यही है माला की निशानी।
माला फेरना अलग और माला बनाना अलग है। माला फेरना ये भक्ति मार्ग का काम है और माला बनाना ये ज्ञानियों का काम है।

विणा - क्या आपके जीवन में संगीत है। जीवन में संगीत का मतलब क्या आपको जीवन जीने में मज़ा आता है।
जिस तरह संगीत सुनकर सुकून मिलता है उसी तरह का सुकून आपके ज़िन्दगी में होना ऐसा सरस्वती देवी की अराधना से ही हो सकती है।

तो सरस्वती देवी से ज्ञान लेने का रहस्य है :- ज्ञान लेते समय पवित्र रहना , मोती के समान सच्चे ज्ञान पर चलना , भले ही आपके आस-पास का वातावरण ख़राब हो उसमे भी सफ़ेद कमल की तरह निखर कर रहना , ऐसा रहने से ज्ञान स्वतः ही बुद्धि में समाते रहेगी और फिर आपके ज्ञान से संगठन रुपी माला तैयार होने लगेंगे ,लोग आपके ज्ञान को सुनना चाहेंगे तो फिर आपके ज्ञान से आपका जीवन वीणा की तरह संगीतमय हो जाएगी।


सरस्वती का मतलब क्या है ? महत्व और सिख। 

सरस्व= सारी दुनिया को
ती = तारने वाली , कल्याण करने वाली

सरस्वती =सारी दुनिया को ज्ञान द्वारा कल्याण करने वाली।

सरस्वती अपने आप में एक inspirational नाम है। सरस्वती नाम से ही मन में पवित्रता आने लगती है।
इसका महत्व बोहोत बड़ा है। ज्ञान का महत्व हमेशा से रही है लेकिन ज्ञान पाने के लिए जो पवित्रता चाहिए उसको लोग भूल गए हैं।

और इसी को लेकर भगवतगीता में एक श्लोक भी है :-

गीता 4 /38 :- न ही ज्ञानेन सदृशं पवित्रमीह विद्यते।
यानि इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र कुछ भी नहीं होता।

ज्ञान और पवित्रता एक दूसरे के परस्पर हैं। जहां ज्ञान हैं वहाँ पवित्रता है और जहां पवित्रता है वहाँ ज्ञान स्वतः ही है।
यह सच है कि ज्ञान की भूक सभी लोगों को नहीं होती है। लोग खाते -पिते पशु के समान अपना जीवन बिता देते हैं। ऐसे लोग इन्द्रियों के सुख को ही समझ पाते हैं। लेकिन जो ज्ञानी होते हैं वे अतीन्द्रिय सुख पाते हैं , जब वह अपने ज्ञान से कुछ नया बनाते हैं तब उन्हें इतनी ख़ुशी होती है जितनी ख़ुशी उन्हें कोई नहीं दे सकता। वह इन्द्रियों से परे मन -बुद्धि का सुख होता है। ऐसे लोगों को सारी दुनिया सम्मान करती है और जन्म -जन्मांतर तक याद करती है। ऐसे लोग के लिए सभी के दिलों में आदर और सम्मान होता है और यही वह चीज है जो खरीदी नहीं जा सकती।

सरस्वती पूजा से सिख :- हम हरेक साल सरस्वती पूजा इसलिए मनाते हैं ताकि हमें सदैव याद रहे कि कैसी भी परिस्थिति आ जाये यदि हमारे पास ज्ञान है तो हम किसी भी समय ,कैसी भी परिस्थिति में ,किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं। हम अपने बुरे हालातों का सामना कर सकते हैं और अच्छे समय में एक समान स्थितप्रज्ञ रह सकते हैं।


सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके बताये रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ?

आज सच्चे भक्त भी है तो झूठे भक्त भी हैं। सच्चे भक्त वो जो सरस्वती देवी के बताये मार्गों पर चलते हैं और झूठे भक्त वे जो सिर्फ दिखावे के लिए एक दिन के लिए पूजा करते हैं।

पूजा करना यानि उनकी धारणाओं को मानना। कोई कहे हम महात्मा गाँधी की पूजा करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि गाँधी की पूर्ति लगाकर उनको अगरबत्ती दिखाना।  गाँधी ने जैसा कर्म करके दिखाया उनको सम्मान करना उनके धारणाओं पर चलना ये ही पूजा है।

एक दिन की पूजा से कुछ नहीं मिलता ये सब जानते हैं। आप परीक्षा में एक दिन की पूजा से पास नहीं हो सकते उसके लिए सरस्वती देवी ने जो धारणाये बताई है उसपर चलना जरूरी है। और वही असली पूजा है।

उदाहरण:- यदि कोई बच्चा रोज अपने माँ -बाप के पैर छूता हो और उनकी बातों को नहीं मानता हो तो वह बच्चा माँ -बाप से सम्मान नहीं पाता। वहीँ दूसरा बच्चा पैर आदि नहीं छूता हो और अपनी माँ -बाप की बात मानता हो तो वो बच्चा अपने माँ -बाप से सम्मान पाता है।
उसीतरह अपने देवी -देवताओं के प्रति क्रियाक्रम करने से ज्यादा जरूरी है कि हम उनकी बातों को माने और उनके बताये गए मार्गों पर चलें और यही आध्यात्म सिखाता है।





तो दोस्तों ये थी जानकारी सरस्वती पूजा के बारे में और उसके महत्व-सिख के बारे में। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी।


यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये। और इस post को अपने दोस्तों तक जरूर share करें।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद। 
NRC Kya Hai? NRC की पूरी जानकारी

NRC Kya Hai? NRC की पूरी जानकारी


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम बात करेंगे NRC के बारे में। NRC क्या है ? NRC का full form क्या होता है ? NRC असम में कैसे लागु हुई और उसका परिणाम क्या हुवा ? पुरे भारत में NRC कब लागु होगी ? CAA के बाद NRC लागु हुई तो क्या होगा ? NRC के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान ? और भी कुछ अन्य जानकारी NRC के बारे में हम आज जानेंगे , तो इस post को आप अंत तक जरूर पढ़े आपको कुछ नई जानकारी जरूर मिलेगी। 

NRC क्या है? NRC का full form क्या होता है?

NRC-National Register for Citizenship को यदि हम आसान भाषा में समझे तो यह एक Register है जिसमे सभी के records रखे जायेंगे। जिस तरह school में register होते हैं जिसमे students की जानकारी होती है वैसे ही यह NRC है जिसमे पुरे देश के लोगों का record होगा।
इसमें व्यक्ति के पहचान से जुडी सभी जानकारियां होगी , NRC होने पर देश के सभी लोगों को अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी कि हम भारत में रहने वाले हैं जिसके लिए आपसे documents मांगे जायेंगे। ये documents क्या होंगे इसकी अभी तक कोई पुस्टि नहीं हुई है। 



NRC लाने का मकसद क्या है? NRC से जुड़े रोचक बातें। 

भारत में घुसपैठिये बोहोत बड़ी समस्या है। बांग्लादेश से , नेपाल से , पाकिस्तान से लोग भारत में आ जाते हैं और यहीं पर अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं , ऐसे में जो असल भारतीय नागरिक है उनको नौकरी मिलने में परेशानी होती है और इससे जान-मान का भी खतरा होता है।

ऐसे में NRC की मदद से यह पहचाना जायेगा कि कौन भारत के नागरिक है और कौन नहीं है और जो भारत का नागरिक नहीं होगा उनको डिटेंशन सेंटर भेज दिया जायेगा या उनके देश में भेज दिया जायेगा। ये है NRC का मकसद।

लेकिन इसमें कई लोगों का कहना है कि देश में पहले से ही नागरिकता के लिए आधार कार्ड को बनाया गया है फिर NRC की क्या जरूरत है ? सरकार आधार कार्ड के records से भी तो नागरिकता दे सकती है।

nrc protests in India
nrc protests in India
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आसाम के NRC में क्या हुवा?

आसाम में NRC 2019 में हुई है। जिसमे आसाम के हरेक लोगों को अपनी जागरिकता सिद्ध करनी थी। जिसके लिए उन्हें 1971 से पहले की documents दिखाने थे। लगभग 50 साल पुराने documents , ऐसा इसलिए हुवा था क्योंकि 1971 में बांग्लादेश बना था और बांग्लादेश के बनने के बाद जो लोग आसाम में रह गए थे उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई थी , इस हिसाब से सभी आसाम के नागरिक के पास documents होने चाहिए।

लेकिन ऐसा नहीं हुवा , Birth Certificate की तो दूर की बात कई लोगों को पता भी नहीं था कि मेरा जन्मदिन कब है ? लगभग 3 करोड़ आबादी वाले राज्य में 19 लाख लोग अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाए थे। जिसमे 15 लाख हिन्दू और 4 लाख अन्य धर्मों के बताये जा रहे हैं।

सरकार के कार्यशैली पर सवाल उठे , कहीं पर पैसे लेने की बात भी सामने आयी तो कई लोग आत्महत्या भी कर बैठें। सरकार ने इसके लिए 52000 लोगों को कार्य में लगाया था और NRC के कैंप जगह -जगह खोले थे , कुल 1220 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे।

यदि CAA आती है तो उन 15 लाख हिन्दू लोगों को नागरिकता मिल जाएगी और 4 लाख मुस्लिम लोगों को नहीं मिलेगी इसीलिए आसाम में सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन हो रहा है।


CAA के बाद NRC लागु हुई तो क्या होगा?

यदि CAA के बाद NRC लागु होती है तो जो हिन्दू , ईसाई ,सिक्ख लोग अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे उन्हें CAA की वजह से फिर से नागरिकता दे दी जाएगी और जो मुस्लिम अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जायेगा।

उसमे भी जो अमीर होंगे वो 2 नंबर करके नागरिकता ले पाएंगे , ऐसा भारत में होता ही है , चंद पैसों के लिए लोग बिक जाते हैं। और जो गरीब मुसलमान होंगे उन्हें परेशानी होगी।

जो भारतीय हिन्दू अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे वो बच सकते हैं लेकिन जो भारतीय मुस्लिम अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे तो उन्हें भी घुसपैठिया समझकर दबोचा जायेगा।

ऐसा भी हो सकता है कि जो गरीब हिन्दू होंगे जो अपनी नागरिकता सिद्ध ना कर पाएंगे तो उन्हें भी डिटेंशन सेंटर भेज देंगे क्योंकि गरीब लोग सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं , रोटी -कपडा -घर मांगते हैं , नौकरी मांगते हैं तो उन लोगों से सरकार को vote तो मिलेंगे नहीं तो उन्हें भी डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है जिससे की उनकी पार्टियों की हमेशा जित होते रहे।


NRC होने पर क्या-क्या (documents ) कागज़ात मांगे जा सकते हैं ?
NRC होने पर सबसे अहम documents जो मांगे जायेंगे वो है:-

  • Birth Certificate
  • Parents Birth Certificate
  • Land/ Property Paper 
  • School or College Certificates
  • Government Certificates
  • Government service certificates
  • House Paper
  • Passport




NRC के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान है?

NRC से देश को फायदा होगा जिससे कि घुसपैठियों को बाहर निकाला जायेगा।
भारत के नागरिकों के लिए एक register बनेगा जिससे की नागरिक को पहचाना जायेगा और उसके अनुसार सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जायेगा।

NRC से नुकसान सबसे ज्यादा मुस्लिम लोगों को होगी। जो घुसपैठिये मुस्लिम हैं उन्हें साफ़ तोर पर भगाया जायेगा।
गरीब लोग जो अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाएंगे -जिनके कागजात जल गए हो ,चोरी हो गए हो , बाढ़ में डूब गए हो। ऐसे लोगों के लिए भी बोहोत बड़ी मुश्किल होने वाली है।
यदि परेशानी की बात करें तो हरेक लोगों को लाइन में लगकर अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी। इसमें लोगों का समय और पैसा दोनों बरबाद होगा।
जिन लोगों को डिटेंशन सेंटर भेजा जायेगा उनकी ज़िन्दगी दर्दनाक या कहें नर्क के समान बन जाएगी वो भी इसलिए क्योंकि वे अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाए।
कुल मिलाकर देखें तो ये उत्पीड़न देने वाला कानून साबित होता है। जिसमे लोगों की ज़िन्दगी के साथ खेला जायेगा।

इन सभी बातों से आप समझ ही गए होंगे कि लोग आज क्यों NRC का विरोध कर रहे हैं। तो ये थी जानकारी NRC के बारे में ,मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर मदद करेगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके बताये।


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Citizenship Amendment Act Kya Hai ? CAA की जानकारी

Citizenship Amendment Act Kya Hai ? CAA की जानकारी


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम बात करेंगे Citizenship Amendment Act यानि नागरिकता संसोधन कानून के बारे में। यह Citizenship Amendment Act क्या है ? क्यों लोग इस कानून के विरोध में और support में रैलियां निकाल रहे हैं ? इस Citizenship Amendment Act से किसको फायदा होगा और किसको नुकसान होगा ? इस कानून के ऊपर सरकार का क्या कहना है और विपक्ष का क्या कहना है ? और लोगों का भी क्या कहना है ? लोगों की क्या मांग है इसके ऊपर भी आज हम बात करेंगे।

Citizenship Amendment Act क्या है ?

यह अब एक कानून बन चूका है जिसमे पाकिस्तान , अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये ऐसे लोगों को भारत में नागरिकता देने की बात है जिनको धार्मिक रूप से प्रतारणा की गई हो और जो 31 December 2014 से पहले भारत आये हो। जिसमे हिन्दू , सीख़ ,बोद्ध ,जैन ,ईसाई और पारसी सामिल है।

यानि साफ़-साफ़ कहें तो मुस्लिम धर्म के लोगों को छोड़कर सभी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का कानून है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरकार के अनुसार उन देशों में मुस्लिम आबादी अधिक है और उसमें अन्य धर्म के लोग बोहोत कम रह गए है इसीलिए उन लोगों को बचाने के लिए यह कानून लागु किया गया है।

citizenship amendment act - caa
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Citizenship Amendment Act के समर्थन  में लोगों का क्या कहना है?
  • CAA के समर्थन में BJP भारतीय जनता पार्टी के लोग जगह-जगह में समर्थन रैली निकाल रहे हैं। उनके समर्थन में लोगों का कहना है कि ये Citizenship Amendment Act भारत के मुसलमानो को किसी भी प्रकार का भय पैदा करने के लिए नहीं है बल्कि ये नागरिकता देने का कानून है नागरिकता लेने का कानून नहीं है। 
  • अमित शाह का कहना है कि उन देशों में monority धर्म के लोग 21 % थे जो अब घट करके 2 % हो गए हैं हालाँकि ये data उन्हें कहाँ से मिली है इसकी कोई पुस्टि नहीं की गई है। 
  • कई समर्थन करने वालों का कहना है कि हिन्दू धर्म की जनसँख्या दिन-प्रतिदिन घटते जा रही है , इस धर्म को बचाने के लिए इस तरह का कानून जरूरी है। 
  • CAA के समर्थन के साथ -साथ कई लोग NRC के समर्थन में भी कह रहे हैं कि देश में घुसपैठियों की जनसँख्या बढ़ गयी है जिसे कम करने के लिए NRC जरूरी है। 

Citizenship Amendment Act के विरोध में लोगों का क्या कहना है ? CAA की जानकारी

आज देश भर में जगह-जगह रैलियां हो रही है जिसमे बंगाल और आसाम में सबसे ज्यादा रैलियां हो रही है। उन लोगों का कहना है कि ये Citizenship Amendment Act





  • भारत के संविधान के विपरीत है। जहां संविधान में हरेक धर्म को समानता दी गई है। संविधान का जो P reamble है उसी में लिखा है कि हम धर्मनिरपेक्षता बनाये रखेंगे वहीँ यह कानून मुस्लिम धर्म को boycott कर रही है। 
  • वे लोग Citizenship Amendment Act का इसलिए भी विरोध कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ,अफगानिस्तान में सिया मुसलमान के ऊपर , श्रीलंका में मुसलमान के ऊपर , China में मुसलमान के ऊपर भी धार्मिक प्रतारणा हो रही है लेकिन इस कानून में इनका कोई जिक्र नहीं है। 
  • और अगला जो विरोध हो रहा है वो NRC-National Register for Citizenship के लिए हो रहा है। एक तरफ अमित शाह संसद में NRC लाने की बात करते हैं वहीँ प्रधानमंत्री NRC नहीं लाने की बात करते हैं। NRC का ख़ास तोर पर विरोध आसाम से शुरू हुवा जिसमे 20 लाख लोग अपनी नागरिकता नहीं साबित कर पाए और जिसमे 14 लाख लोग हिन्दू निकले। तो उन बचे हुवे 14 लाख हिन्दुओं को नागरिकता देने के लिए और मुसलमान को बाहर करने के लिए ये Citizenship Amendment Act लाया गया है जिसका की विरोध किया जा रहा है। तो इस तरह सभी मुसलमानो को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जायेगा China की तरह।  ऐसा विरोध करने वाले लोग कह रहे हैं। 
  • जो Citizenship Amendment Act का विरोध कर रहे हैं उनमें से कई लोग यह भी कह रहे हैं कि इस वक़्त देश आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है। GDP 4.5 हो गयी है और नौकरियां ख़त्म होते जा रहे हैं। सरकार सभी सरकारी कंपनियों को private कर रही है। तो इन सभी मुद्दों के ऊपर लोगों का ध्यान ना जाये इसीलिए हिन्दू -मुसलमान करके लोगों को लड़ाने के लिए इस कानून को लाया गया है जिसमे मुसलमान को अलग किया गया है  जिससे की लोग आपस में ही लड़ाई करके मर जाये। 
  • कुछ लोग इस Citizenship Amendment Act का इसलिए भी विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सरकार पूरी तैयारी से इस कानून को नहीं बनाई है। जिस तरह नोटबंदी में लोगों को परेशान होना पड़ा था सरकार की पूरी तैयारी नहीं थी उसी तरह यह कानून भी बना है जिसमे अभी तक planning भी नहीं हुई है कोई data भी नहीं है सरकार के पास, कि कितने लोग  प्रतारणा से आये हैं ? बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का माहोल बोहोत ही सामान्य है यदि कोई बांग्लादेशी भारत में हैं तो हम उसे नागरिकता देंगे।इससे भारत सरकार के काम करने के ऊपर साफ़-साफ़ उंगली उठती है। 
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  • कुछ लोग इस Citizenship Amendment Act -CAA का विरोध इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कानून कोई solution नहीं है। हम दूसरे देश के प्रतारणा हुवे लोगों को नागरिकता देने की बात कर रहे हैं वहीँ अपने ही भारत देश में कितने mob lynching के cases आ रहे हैं अकेले झारखण्ड में पिछले साल 21 cases धर्म प्रतारणा को ले करके आये हैं। आय दिन हिन्दू -मुस्लिम में लड़ाई होते रहते हैं। तो हम अपने ही देश को पूरी तरह धर्मनिरपेक्षता नहीं दे पा रहे हैं ऐसे में दूसरे देशों के लोगों को हम धर्म प्रतारणा को लेकर कैसे नागरिकता दे सकते हैं। 
  • और कुछ बुद्धिजीवियों का इस Citizenship Amendment Act को लेकर मानना है कि यदि ये कानून आता है तो भारत की जो अर्थव्यवस्था है वो और भी नीचे चली जाएगी। नागरिकता प्राप्त किये गए लोगों के लिए खाना -रहना -नौकरी देना इत्यादि जैसी जरूरतों की पूर्ति करनी होगी जिससे की सरकार के पैसे खर्च होंगे और आर्थिक स्थिति और निचे चली जाएगी। नौकरी देने में तो भारत सरकार ऐसे ही असफल रही है तो बाहर से आये लोगों के लिए सरकार क्या करेगी ? क्या बिठा करके खिलाएगी ? और यदि नौकरी देगी तो भारत के नागरिक कहाँ जायेंगे ? ऐसे और भी कई वजहें हैं जिनको लेकर के लोग आज सड़कों पर उतर आये हैं और इस Citizenship Amendment Act के विरोध में खड़े हैं जिसका कोई नेतृत्व करने वाला नहीं है आज भारत का युवा , देश के students इसके विरोध में खड़े हैं। 
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कुछ आम लोगों का प्रश्न CAA के ऊपर जो रैलियों में नहीं जाते। 


  • सरकार मुस्लिम धर्म के लोगों को छोड़कर सभी धर्म के लोगों को नागरिकता दे रही है , तो जो मुस्लिम धर्म के लोग प्रतारणा से आये हैं वे कहाँ जायेंगे ?
  • यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुस्लिम होते या उनके पार्टी में आधे लोग मुसलमान होते तब भी क्या वे इस तरह का कानून लाते ?
  • सरकार आंदोलन कारियों के ऊपर property नुकसान का आरोप लगा रही है वहीँ कश्मीर में पिछले 4 महीनों से internet बंद है जिसमे 10000 करोड़ रुपयों का नुकसान हुवा है उस property का नुकसान सरकार को भी देना चाहिए। 
  • ऐसा क्यों है कि जहां BJP की सरकार है वहीँ प्रदर्शनकारी property का नुकसान करते हैं ? 
  • क्या इस Citizenship Amendment Act  से सच में लोगों का भला होगा ? यदि भला होगा तो कैसे ?
  • इस Citizenship Amendment Act के बाद भारत में mob lynching बढ़ने के कई ज्यादा आसार हैं। जिन मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलेगी वो क्या करेंगे ? ज़रा सोच के देखिये। 
  • दूसरे देशों से आये नागरिक हिन्दू हैं या दूसरे धर्म के हैं इसका पता सरकार कैसे लगाएगी ? हमने कई आधार कार्ड के fraud देखें हैं जिसमें कई लोग पकड़ाए भी हैं। ऐसे में क्या अमीर लोग नागरिकता के लिए झूठी आधार कार्ड नहीं बना सकते ? या पैसे से अपना नाम नहीं बदल सकते ?


Citizenship Amendment Act (CAA ) से किसको फायदा होगा और किसको नुकसान होगा ?

इस कानून से सबसे ज्यादा फायदा BJP को होगा। (यदि राजनितिक नजरिये से देखें तो ) क्योंकि जिन लोगों को वे नागरिकता देने की बात कर रहे हैं वे उन्हें ही support करेंगे और उन्हें ही vote करेंगे।
दूसरे नंबर में उनलोगों का फायदा होगा जिन्हे नागरिकता मिलेगी।

यदि नुकसान की बात करें तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीब लोगों को होगा क्योंकि गरीब लोग आज ऐसे भी बेरोजगार हैं और यदि इसमें और लोग जोड़ दिए जाये तो गरीब लोगों को नौकरी लेने में और ज्यादा competition करना होगा।
                      और जो गरीब लोग नागरिकता लेना चाहते हैं उन्हें भी दिक्कत होगी क्योंकि जो अमीर होंगे वो पैसे देकर जाली कागजात बना सकते हैं।
यदि NRC की बात करें तो इसमें भी गरीब लोगों को ही परेशानी होगी जैसा की केरल में हुवा। अमीर लोग अपना कागजात बना लिए और गरीब फँस गए।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीबों को ही नुकसान होगा , जो आम लोग है उन्हें भी परेशानी होगी। Birth Certificate बनाने होंगे , अपने पूर्वजों का दस्तावेज दिखाना होगा। इत्यादि और भी कागजात हो सकते हैं।

जो दूसरे देश से आये गरीब मुसलमान होंगे उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान होगा उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज दिया जायेगा क्योंकि पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक भी भारत से आये व्यक्ति को नहीं लेने वाला है।

यदि राजनितिक नज़रिये से देखें तो सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होगा। जो गरीब हैं उनको डिटेंशन सेंटर भेज दिए जायेंगे जो उसे vote नहीं देते , जो अपनी हक़ की बात करते हैं , जो नौकरी , खाना मांगते हैं। बाकि बच गए अमीर धार्मिक लोग जो बीजेपी को समर्थन करेंगे और इससे अन्य पार्टियों को किसी भी तरह से मौका नहीं मिलेगा कि वे जित पाए। और इस तरह अन्य राजनितिक पार्टियों को नुकसान होगा।


मेरी राय -Citizenship Amendment Act (CAA ) के ऊपर।

मैं यहां पर अपनी राय देना उचित नहीं समझता हूँ। अब ये फैसला supreme court में हैं। मैं supreme court के फैसले का इस्तेजार कर रहा हूँ।

तो दोस्तों ये थी जानकारी CAA - Citizenship Amendment Act के ऊपर। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।




और इस post को अपने दोस्तों तक जरूर share करें ताकि और लोगों तक ये जानकारी पहुँच सके और लोग इस सच्चाई को जान सके।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।

Mrityu Ke Baad Manushya Aatma Kis Yoni Me Janm Leti Hai

Mrityu Ke Baad Manushya Aatma Kis Yoni Me Janm Leti Hai


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम आत्मा के विषय के ऊपर अपने चौथे post के तरफ चलते हैं और ये है कि मृत्यु के बाद आत्मा किस योनि में जन्म लेगी ? ये हम कैसे पता करेंगे ? और यह सवाल भी है कि क्या मृत्यु के बाद आत्मा दूसरे योनि में जन्म लेती है ? यदि लेती है तो कैसे लेती है ?और यदि नहीं लेती है तो क्यों नहीं लेती है ? आज हमारी पूरी जानकारी इसी के ऊपर है तो पढ़ते रहिये और जानते रहिये अपने आत्मा के बारे में।

मृत्यु के बाद मनुष्य आत्मा के जन्म के ऊपर- लोगों का विचार।

हिन्दू धर्म के आज के पंडित मानते हैं कि मनुष्य आत्मा के मृत्यु के बाद वे 84 लाख योनियों में से किसी एक योनि में जन्म लेती है। अब वह किस योनि में जन्म लेगी ये उस आत्मा के कर्मों के ऊपर निर्भर करता है। यदि वो मनुष्य आत्मा जीवन भर लोगों को सुख दिया है तो उसे अच्छे जिव में जन्म मिलेगा।  जैसे - पक्षी  और यदि जीवन भर दूसरों को दुःख दिया होगा तो उसको ख़राब योनि में जन्म लेगा होगा। जैसे - सुवर ,सांप इत्यादि।

कई दूसरे धर्म (मुसलमान ) ऐसे भी मानते हैं कि एक ही जन्म हमें जीने के लिए  मिलता है और मृत्यु के बाद वो मनुष्य आत्मा कब्र दाखिल हो जाती है।
mrityu ke baad manushya aatma ka janm
mrityu ke baad manushya aatma ka janm


मृत्यु के बाद मनुष्य आत्मा के जन्म के ऊपर प्रश्न।

अब हमने तो धर्मों की बातों को सुन लिया है लेकिन जो प्रश्न सामने आ रहा है वो इन सभी धर्मो को झूठा साबित कर देगी। यह प्रश्न मेरा नहीं है बल्कि दुनिया के सभी लोगों का है , आप अपने अंदर से पूछिए क्या आपके अंदर भी ये प्रश्न आते हैं ?

1.  इतिहास में  और आज भी कई ऐसे लोग हैं जिनको अपने पिछले जन्म के बारे में पता चला है और उन सभी ने अपने पिछले जन्म के बारे में कभी भी ये नहीं कहा कि मैं पिछले जन्म में कोई जानवर था , या कोई पक्षी था। उन सभी ने अपने पिछले जन्म के बारे में अपने को मनुष्य ही कहा है भले उनका लिंग बदल गया है लेकिन उनकी योनि नहीं बदली।
                             उन सभी लोगों की बातों के अनुसार मनुष्य दूसरे योनियों  में जन्म नहीं लेती है और ना  मनुष्य आत्मा सिर्फ एक ही जन्म लेती है. ये दोनों धर्मों की बातें झूठी साबित हो जाती है।



2. यदि मनुष्य आत्मा दूसरे योनियों में जन्म लेती है तो मनुष्य की जनसँख्या कम हो जानी चाहिए और दूसरे योनियों की जनसँख्या ज्यादा हो जानी चाहिए। लेकिन इसके विपरीत ही हो रहा है।
आज बाघ (tiger ) की जनसँख्या कितनी कम हो चुकी है। बड़े-बड़े पक्षी तो बिलकुल लुप्त ही हो चुके हैं।
इसका मतलब ये साफ़ हो जाता है कि मनुष्य आत्मा दूसरे योनियों में जन्म नहीं लेती।

मनुष्य आत्मा हमेशा मनुष्य योनि में ही जन्म लेती है। 

आत्मा एक बीज है। जैसे पेड़ों के बीज होते हैं , जिस पेड़ का बीज होगा उसे रोपन करने पर वह पेड़ उसी बीज का फल देगा। जैसे - आम का बीज होगा तो आम का ही फल देगा , जामुन का बीज होगा तो जामुन का ही फल देगा। वैसे ही आत्मा यदि मनुष्य का बीज है तो मनुष्य में ही जन्म लेगा।

बीज को कभी भी कोई परिवर्तन नहीं कर सकता। बीज में कीटाणु लग सकते हैं लेकिन कोई चाहे कि हम आम के बीज को जामुन का बीज बना दें तो ये मुमकिन नहीं है।

डार्विन theory कहती है कि बंदर हमारे पूर्वज हैं लेकिन वो डार्विन theory भी गलत साबित हो गई। scientist ने भी इस theory को गलत मान लिया है। आज मनुष्यों के पास 2500 सालों की history है। इन 2500 सालों में किसी भी जीव को दूसरे जीव में परिवर्तन होते नहीं देखा गया है। भले ही 2500 सालों में कई जीव लुप्त हो गए लेकिन किसी भी जिव ने दूसरे जिव का रूप नहीं लिया है।


अब बात आ जाती है कि मनुष्य यदि मनुष्य में ही जन्म लेगा तो अपने बुरे कर्मो को कैसे भोगेगा ?
तो इसका जवाब है कि मनुष्य -मनुष्य योनि में ही अपने दुखों को भोगती है। दुःख भोगने के लिए कोई दूसरे योनि में जाने की जरूरत नहीं है। बल्कि मनुष्य योनि में ही आज सबसे ज्यादा दुखी लोग रहते हैं।

जो भी लोग आज पाप कर्म कर रहे हैं तो वे अगले जन्म में जरूर अपाहिज या भिखारी के रूप में जन्म ले सकते हैं। उन्हें दूसरे योनि में जन्म लेना कोई जरूरी नहीं है।
आजकल कई ऐसे कुत्ते भी होते हैं तो मनुष्य से भी अच्छी ज़िन्दगी जीते हैं। तो यहां पर दूसरे योनि के लिए हम बुरा नहीं कह सकते कि दूसरा योनि सिर्फ दुःख भोगने के लिए ही होते हैं।

Science की एक theory भी है :- Newton 's 2nd Law - हरेक action का equal and opposite reaction होता है। ये नियम प्रकृति पे भी लागु होती है और आत्मा पे भी लागु होती है। यदि आप पेड़ों को काटेंगे , वायुमंडल को प्रदूषित करेंगे तो प्रकृति भी आपसे बदला लेगी जिसकी वजह से बाढ़ , जल संकट , मौसम परिवर्तन ,भूकंप जैसे आपदाये आएंगे।
                          वैसे ही यदि आप किसी मनुष्य आत्मा या किसी जिव को दुःख देते हैं तो आपको भी किसी ना किसी रूप में दुःख मिलता है। यही प्रकृति का नियम है।

तो इससे ये साफ़ हो जाता है कि आत्मा एक बीज है बीज का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है और उसे अपने दुखों को भोगने के लिए अन्य योनियों में जाने की जरूरत नहीं होती वो मनुष्य योनि में ही अपना हिसाब-किताब चुक्तु कर लेती है।


शास्त्रों में गलती कैसे हुई। 

शास्त्रों में मनुष्य आत्मा के 84 के चक्रों का गायन है।
यानि मनुष्य आत्मा 84 जन्म लेती है। लेकिन पंडितों के अज्ञानता के कारन उन्होंने इसका गलत अर्थ निकाला और 84 चक्र को उन्होंने 84 लाख योनियों में बदल दिया। हमने इसके विषय में पहले ही बात कर ली है कि यदि दूसरे योनियों में आत्माये जन्म लेते तो कोई भी योनि लुप्त नहीं होती और हर योनि में समानता होती। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता।

तो दोस्तों ये थी जानकारी कि मनुष्य आत्मा मृत्यु के बाद किस योनि में जन्म लेती है। आपकी राय क्या है हमें comment करके जरूर बताये। क्या आप अपने को किसी योनि में होते सोच सकते हैं ? ये भी comment में बताये।


आप इस post को अपने दोस्तों तक जरूर share करें। इस ज्ञान को सभी लोगों तक पहुंचाए ताकि जो अंधविश्वास लोगों में फेल चुकी है वो दूर हो सके।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत-बोहोत धन्यवाद।
Soul Is Male Or Female-आत्मा स्त्री है या पुरुष ?

Soul Is Male Or Female-आत्मा स्त्री है या पुरुष ?


नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम बात करेंगे कि आत्मा स्त्री है या पुरुष है ? आत्मा को कई लोग पुरुष मानते हैं और कई लोग स्त्री मानते हैं लेकिन सच्चाई क्या है इसके बारे में आज हम जानेंगे। हम आपको कुछ examples भी देंगे जिससे की आपको समझने में आसानी होगी। तो इस post को आप अंत तक पढ़िए आपको पूरी जानकारी आत्मा के स्त्री और पुरुष के बारे में मिल जाएगी।

Soul Is Male or Female -आत्मा स्त्री है या पुरुष ?

आत्मा ना तो स्त्री है और ना ही पुरुष है। ये बात आपको जानके कुछ अजीब लग रहा होगा लेकिन ये सच है। आत्मा जब पुरुष शरीर का आधार लेती है तो आत्मा को पुरुष कहा जाता है और स्त्री शरीर का आधार लेती है तो उसे स्त्री कहा जाता है। आत्मा को हम स्त्रीलिंग और पुर्लिंग के आधार पर नहीं बाँट सकते।

लेकिन कई लोग इसे पुरुष के लिए इस्तेमाल करते हैं तो कई इसे स्त्रीलिंग के लिए इस्तेमाल करते हैं।
जैसे - आत्मा होती है (स्त्रीलिंग ) , आत्मा होता है। (पुर्लिंग ) तो दोनों वाक्यों को सुनने में कोई गलती नहीं लगती है। इससे पता चलता है कि आत्मा को लोग स्त्री भी मानते है और पुरुष भी मानते हैं।

लेकिन गजब की बात ये है कि आत्मा Neutral है। ना ही वो स्त्री है और ना ही पुरुष है।
aatma male or female
aatma male or female


आत्मा को स्त्री और पुरुष किस आधार पर कहा जाता है ?

आत्मा को स्त्री और पुरुष संस्कारों के आधार पर कहा जाता है। आपने कई बार देखा होगा कि कुछ ऐसी औरतें होती है जो पुरुषों के जैसे हाव-भाव करती है और कुछ पुरुष भी ऐसे होते हैं जो औरतों जैसे हाव-भाव करते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें जन्म से वैसे ही संस्कार मिले हैं। और उस संस्कार की वजह से वह अगले जन्म में अपना लिंग बदल लेती है और पुरुष स्त्री बन जाता है और स्त्री पुरुष बन जाती है।

इसके अलावे और भी कई कारन है शरीर के लिंग परिवर्तन के। जीवन भर स्त्री को पुरुष का शरीर आकर्षित करता है और पुरुष को स्त्री का शरीर आकर्षित करता है। और इस आकर्षण की वजह से भी आत्मा हमेशा स्त्री और पुरुष दोनों शरीर धारण करती है।

इसको यदि साफ़ -साफ़ कहें तो एक जन्म आत्मा स्त्री बनती है तो दूसरी जन्म आत्मा पुरुष बनती है। और ये कोई अंधश्रद्धा की बात नहीं है। इस दुनिया में कई लोगों ने अपने पिछले जन्मों के बारे में जाना है जिसमे से 80 % लोगों ने माना है कि मैं पिछले जन्म में दूसरे लिंग का था।

Ex - Barbro Karlen (Swedish लड़की )


आत्मा कितने समय तक एक ही लिंग में रह सकती है ?

तो यहां पर आप देख सकते हैं कि आत्मा अपने संस्कारों की वजह से शरीर को धारण करती है। लेकिन कोई भी आत्मा लगातार ज्यादा से ज्यादा 2 जन्म तक ही स्त्री या पुरुष के शरीर के रूप में जन्म ले सकती है फिर उसको अपना शरीर का लिंग बदलना होता है। ऐसा इसलिए ताकि दुनिया में समानता बनी रहे।

उदाहरण :- पपीते का बीज होता है।  जब उसे जमीन में रोपा जाता है तब पता नहीं होता कि ये male के रूप में जन्म लेगा या female के रूप में। बाद में पता चलता है जब बीज बड़ा होकर वृक्ष बन जाता है। और इस तरह पपीते में समानता बनी रहती है और इसीतरह दुनिया कि हरेक आत्माओं को ये पता नहीं होता कि मैं male के रूप में जन्म लूंगा या female के रूप में।

मृत्यु तक आत्मा के जैसे संस्कार होंगे उनके आधार पर उनको अगला जन्म मिलेगा। यदि किसी पुरुष ने जीवन भर शादी नहीं की और महिलाओं से प्रभावित नहीं हुवा तो हो सकता है कि वह अगला जन्म पुरुष ही ले। इसीतरह महिला भी जीवन भर कुवारी होगी या विद्वा होगी तो हो सकता है कि अगले जन्म वो स्त्री ही बने। ये सब संस्कारों की बात है।


सार :- इस post का सार यही है कि आत्मा ना ही पुरुष है और ना ही स्त्री है। आत्मा कभी स्त्री के शरीर को धारण करती है तो कभी पुरुष के शरीर को धारण करती है। आत्मा लगातार 2 जन्म एक ही लिंग के रूप में रह सकती है फिर उसे अपना लिंग बदलना होता है। आत्मा अपने जीवन भर के संस्कारों की वजह से लिंग को बदलती है। यदि कोई व्यक्ति चाहे की मैं लगातार पुरुष मैं ही जन्म लू तो ये नहीं हो सकता।

तो मेरे भाइयों ये थी जानकारी कि आत्मा स्त्री है या पुरुष है। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है तो हमें comment करके जरूर बताये।


और इस post को अपने दोस्तों तक जरूर share करें।
अपना महत्वपूर्ण समय देकर इस post को पढ़ने के लिए आपका बोहोत -बोहोत धन्यवाद।